________________ पृष्ठाङ्क विषयानुक्रमणिका प्रथम श्रुतस्कन्ध : प्रास्रवद्वार विषय प्रथम अध्ययन-हिंसा पूर्वपीठिका हिसा प्राणवध का स्वरूप प्राणवध के नामान्तर पापियों का पापकर्म जलचर जीव स्थलचर चतुष्पद जीव उरपरिसर्प जीव भुजपरिसर्प जीव नभचर जीव अन्य विविध प्राणी हिंसा करने के प्रयोजन पृथ्वीकाय की हिंसा के कारण . अप्काय की हिंसा के कारण तेजस्काय की हिंसा के कारण वायुकाय की हिंसा के कारण वनस्पतिकाय की हिंसा के कारण हिंसक जीवों का दृष्टिकोण हिंसक जन हिंसक जातियाँ हिंसकों की उत्पत्ति नरक-वर्णन नारकों का वीभत्स शरीर नारकों को दिया जाने वाला लोमहर्षक दुःख / नारक जीवों की करुण पुकार नरकपालों द्वारा दिये जाने वाले घोर दुःख नारकों की विविध पीड़ाएँ नारकों के शस्त्र नारकों की मरने के बाद की गति तिर्यञ्चयोनि के दुःख चतुरिन्द्रिय जीवों के दुःख श्रीन्द्रिय जीवों के दुःख [31] worrowar or orYYNONYMNYMr mmmmm AMMMMMMM WWWWMECKAMw.mcuA * Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org