________________ परिशिष्ट--२ गाथानुक्रमसूची अणुसिटु पि बहुविह इणमो अण्हय-संवरविणिच्छयं एएहिं पंचहि असंवरेहि कि सक्का काउं जे जंबू ! एतो संवरदाराई जारिसनो जं नामा तत्थ पढम अहिंसा तित्थकरेहि सुदेसियमग्गं देव-नारद नमंसियपूर्व पंचमहव्वयसुव्वहमूलं पंचविहो पण्णत्तो पढम होइ अहिंसा सव्वगई पक्खंदे काहेति Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org