________________ तृतीय वर्ग] श्रमण भगवान् ने कहा--हे गौतम ! मेरा विनयो शिष्य धन्य अनगार समाधि-मरण प्राप्त कर सर्वार्थसिद्ध विमान में उत्पन्न हुया है। वहां उसको तेतीस सागरोपम की स्थिति है। वहाँ से च्युत होकर वह महाविदेह क्षेत्र में उत्पन्न होकर मोक्ष प्राप्त करेगा, अर्थात् सिद्ध, बुद्ध और मुक्त होकर परिनिर्वाण प्राप्त कर सर्व दुःखों का अन्त कर देगा / __इस सूत्र से हमें यह शिक्षा प्राप्त होती है कि प्रत्येक साधक को आलोचना आदि क्रिया करके समाधि-पूर्वक मृत्यु का सामना करना चाहिए जिससे वह अन्तिम श्वासोच्छ्वास तक सच्चा पाराधक रहे और साक्षात् या परम्परा से मोक्षाधिकारी बन सके / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org