________________ [ अनुत्तरौपपातिकदशा भवित्ता = होकर मुंडे = मुण्डित भाणियव्वं, व्वा-कहना चाहिए मुग्ग-संगलिया=मूग की फली भावेमाणे- भावना करते हुए मुच्छिया = मूच्छित भासं =भाषा, बोल मूलाछल्लिया = मूली का छिलका भास-रासि-पलिच्छिन्ने = राख के ढेर से ढंकी हुई मेहो - मेघकूमार भासिस्सामि = बोलूगा मुक्केणं स्वयं मुक्त हुए भुक्खेणं = भूख से मोयएणं = दूसरों को संसार-सागर से मुक्ति भोग-समत्थे = भोग भोगने में समर्थ दिलाने वाले मंस-सोणियत्ताए - मांस और रुधिर के कारण य= और मग्ग-दएणं = मुक्ति-मार्ग दिखाने वाले रायगिहे राजगृह नगर मज्झे = बीच में राया =राजा मम = मेरा रिद्ध (द्धि ? ) स्थिमिय-समिद्ध, द्धा= धन धान्य से मयालि= मयालिकुमार युक्त, भयरहित और सब प्रकार के ऐश्वर्य से मयूर-पोरा= मोर के पर्व (सन्धि-स्थान) युक्त महता=बड़े भारी लटठदंते-लष्ट दन्त कुमार महब्बले = महाबलकुमार लभति प्राप्त करता है महाणिज्जरतराए-बहुत कर्मों की निर्जरा करने लाउय-फले - तुम्बे का फल वाला लुक्ख - रूक्ष महा-दुक्कर-कारए = अत्यन्त दुष्कर तप करने वाला लोग-नाहेणं = तीनों लोकों के स्वामी महादुमसेणमाती = महाद्र मसेन आदि लोग-पज्जोयगरेणं = लोक उद्योतकर, लोक में या महादुमसेणे - महाद्र मसेन कुमार लोक को प्रकाशित करने वाला महाविदेहे = महाविदेह (क्षेत्र) में लोग-प्पदीवेणं = लोकों में दीपक के समान प्रकाश महावीरं = भगवान महावीर स्वामी को करने वाले महावीरस्स = महावीर स्वामी का वंदति-वन्दना करता है महावीरे =महावीर स्वामी वग्गस्स = वर्ग का महावीरेणं = महावीर से वग्गा = वर्ग महासीहसेणे = महासिंहसेन कुमार वट्टयावली - लाख आदि के बने हुए बच्चों के महासेणे = महासेनकुमार खिलौनों की पंक्ति मा = नहीं, निषेधार्थक अव्यय वड-पत्त = बड़ का पत्ता माणुस्सए = मनुष्य सम्बन्धी वत्तव्वया वक्तव्य, विषय मातुलुगपेसिया =मातुलुग-बीजपूरक की फाँक वयासी = कहने लगा, बोला माया (ता)= माता वा = विकल्पार्थ-बोधक अव्यय मास-संगलिया -उडद की फली वारिसेणे = वारिसेन कुमार मासिका एक मास की वालुक-छल्लिया=चिर्भरी की छाल मिलायमाणी = मुरझाती हुई वावि (वा+अवि) भी मुडावली = खम्भों की पंक्ति वासा=वर्ष Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org