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________________ नवम अध्ययन पितृसेनकृष्णा पितुसेनकृष्णा का मुक्तावली तप १३--एवं-पिउसेणकण्हा वि, नवर-मुत्तालि तवोकम्म उवसंपज्जित्ता णं विहरइ, तं जहा __चउत्थं कर इ, करता सव्वकामगुणियं पार इ। छट्ठ कर इ, करता सव्वकामगणियं पारे / चउत्थं कर इ, करेत्ता सव्वकामगुणियं पारे / अट्टमं करेइ, करता सव्वकामगणियं पारई। चउत्थं करइ करता सम्वकामगुणियं पारे इ। दसमं कर इ, करता सव्वकामगुणियं पार इ / चउत्थं कर इ, करता सव्वकामगुणियं पारे / दुवालसमं कर इ, करता सम्वकामगुणियं पारे / चउत्थं कर इ, करेत्ता सम्वकामगुणियं पारई। चोइसमं कर इ, करता सम्वकामगणियं पारइ। चउत्थं करेइ, करेत्ता सम्वकामगुणियं पार इ। सोलसमं कर इ, करेत्ता सव्वकामगणियं पार।। चउत्थ करइ, करता सव्वकामगणियं पार इ / प्रदारसमं करइ, करता सवकामगणियं पार। चउत्थ करई, करता सबकामगुणियं पार इ / वीसइमं कर इ, करता सव्वकामगुणियं पार है। चउत्य कर, करत्ता सव्वकामगणियं पार इ / बावीसइमं कर इ, करता सधकामगुणियं पार है। चउत्थं कर इ, कोत्ता सव्वकामगणिय पारइ। चउवीसइमं करइ, करेत्ता सम्वकामगुणिय पारे। च उत्थ कर इ, करेत्ता सव्वकामगुणिय पार इ / छब्बीसइमं कर इ, करता सव्वकामगुणिय पारे। चउत्यं करेइ, करेता सव्वकामगुणिय पारइ / अदाबीसइमं करइ करेत्ता सव्वकामगुणियं पारइ। चउत्थ कर इ, करेत्ता सव्वकामगुणिय पारइ / तीसइमं कर इ, करेत्ता सव्वकामगुणिय पारे। चउत्थ कर इ, करेत्ता सव्वकामगुणिय पारे। बत्तोसइमं कर इ, करेत्ता सव्वकाम पारे। चउत्थं करइ, करेत्ता सम्बकामगुणिय पारई। च उत्तीसइमं कर इ, करत्ता सबकामगुणिय पारे। चउत्थं कर इ, करता सम्वकामगुणिय पार इ / बत्तीसइमं करेंइ, करता सव्वकामगुणिय पार / एवं तहेव प्रोसारेइ जाव चउत्थ कर इ, करता सव्वकामगुणिय पार है। एक्काए कालो एक्कारस मासा पण्णरस य दिवसा / चउण्हं तिणि वरिसा दस य मासा / सेस जाव सिद्धा। पितृसेनकृष्णा का चरित भी प्रार्या काली की तरह समझना / विशेष यह कि पितृसेनकृष्णा ने मुक्तावली तप अंगीकार किया, जो इस प्रकार है उपवास किया, करके सर्व कामगुणयुक्त पारणा किया, करके बेला किया, करके सर्व कामगुणयुक्त पारणा किया, करके उपवास किया, करके सर्वकामगणयुक्त पारणा किया, करके तेला किया, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके उपवास किया, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, 1. वर्ग 8, सूत्र 3-4 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003476
Book TitleAgam 08 Ang 08 Anantkrut Dashang Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Divyaprabhashreeji, Devendramuni, Ratanmuni, Kanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1981
Total Pages249
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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