________________ अष्टम वर्ग [ 171 छह उपवास किये, करके सर्वकामगुण युक्त पारणा किया, करके सात उपवास किये, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके आठ उपवास किये, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके नव उपवास किये, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके पांच उपवास किये, करके सर्वकाम गुणयुक्त पारणा किया। यह चौथी लता हुई। आठ उपवास किये, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके नव उपवास किये, करके सर्वकामगुण युक्त पारणा किया, करके पाँच उपवास किये, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके छह उपवास किये, करके सर्वकामगुण युक्त पारणा किया, करके सात उपवास किये, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया। यह पांचवीं लता पूर्ण हुई। इस तरह पांच लताओं की एक परिपाटी हुई। ऐसी चार परिपाटियां इस तप में होती हैं। एक परिपाटी का काल छह माह और बीस दिन है। चारों परिपाटियों का काल दो वर्ष, दो माह और बीस दिन होता है / शेष पूर्व वर्णन के अनुसार समझना चाहिये। काली के समान प्रार्या रामकृष्णा भी संलेखना करके यावत् सिद्ध-बुद्ध मुक्त हो गई। विवेचन--भद्रोत्तर प्रतिमा का अर्थ है—भद्रा-कल्याण की प्रदाता, उत्तर-प्रधान / यह प्रतिमा परम कल्याणप्रद होने से भद्रोत्तरप्रतिमा कही जाती है। यह पांच उपवास से प्रारम्भ होकर नौ उपवास तक जाती है। भत्ता महिमा 7 84 पादित/पारयोस कामासर दिन Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org