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________________ [ 146 अष्टम वर्ग] पारणा किया, पारणा करके, सात उपवास किये, करके, सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके, छह उपवास किये, करके, सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके, पंचोला किया, करके, सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके, चोला किया, करके सर्वकामगुरणयुक्त पारणा किया, करके, तेला किया, करके, सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके, बेला किया, करके, सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, पारणा करके, उपवास किया, करके, सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके, पाठ बेले किये, करके, सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके, बेला किया, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके, उपवास किया, करके, सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया। इस प्रकार इस रत्नावली तपश्चरण की प्रथम परिपाटी की काली आर्या ने आराधना की। सूत्रानुसार रत्नावली तप की इस आराधना की प्रथम परिपाटी (लडी) एक वर्ष तीन OXO _(एक परिपाटी का काल 1 वर्ष, मास, 22 दिन चार परिपाटी का काम 5 वर्ष, 2 मास, 28 दिन ..(एक परिपाटी के तपोदिन 1 वर्ष, -24 दिन (चार परिपाटी के तपोदिन 4 वर्ष, 3 मास, 6 दिन एक परिपाटी के पारणे 55 रचार परिपाटीके पारणे 352 पारने GOOODUR হতোনুলী নয় का स्थापना-यन्त्र 212 1921 22216 21 22 शश | 2.2 2222 222222 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003476
Book TitleAgam 08 Ang 08 Anantkrut Dashang Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Divyaprabhashreeji, Devendramuni, Ratanmuni, Kanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1981
Total Pages249
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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