________________ प्रथम अध्ययन : गायापति आनन्द ] [33 अगर, कुकुम तथा चन्दन के अतिरिक्त मैं सभी विलेपन-द्रव्यों का परित्याग करता हूं। . 30. तयाणंतरं च णं पुप्फविहिपरिमाणं करेइ / नन्नत्थ एगेणं सुद्ध-पउमेणं, मालइ-कुसुमदामेणं वा अवसेसं पुप्फविहिं पच्चक्खामि / इसके पश्चात् उसने पुष्प-विधि का परिमाण किया मैं श्वेत कमल तथा मालती के फूलों की माला के सिवाय सभी प्रकार के फूलों के धारण करने का परित्याग करता हूं। 31. तयाणंतरं च णं आभरणविहिपरिमाणं करेइ। नन्नत्य मट्ठ-कण्णेज्जएहि नाममुद्दाए य, अवसेसं आभरणविहिं पच्चक्खामि / तब उसने अाभरण-विधि का परिमाण किया___ मैं शुद्ध सोने के अचित्रित-सादे कुडल और नामांकित मुद्रिका--अंगूठी के सिवाय सब प्रकार के गहनों का परित्याग करता हूं। 32. तयाणंतरं च णं धूवविहिपरिमाणं करेइ। नन्नत्थ अगरुतुरुक्कधूवमादिहि, अवसेसं धूवविहिं पच्चक्खामि / तदनन्तर उसने धूपनविधि का परिमाण कियाअगर, लोबान तथा धूप के सिवाय मैं सभी धूपनीय वस्तुओं का परित्याग करता हूं। 33. तयाणंतरं च णं भोयणविहिपरिमाणं करेमाणे, पेज्जविहिपरिमाणं करेइ / नन्नस्थ एगाए कट्ठपेज्जाए, अवसेसं पेज्ज-विहिं पच्चक्खामि / तत्पश्चात् उसने भोजन-विधि के परिमाण के अन्तर्गत पेय-विधि का परिमाण किया__ मैं एक मात्र काष्ठ पेय-मूग का रसा अथवा घी में तले हुए चावलों से बने एक विशेष पेय के अतिरिक्त अवशिष्ट सभी पेय पदार्थों का परित्याग करता हूं। 34. तयाणंतरं च णं भक्खविहिपरिमाणं करेइ / नन्नत्य एगेहि घयपुग्णेहि खण्डखज्जएहि वा, अवसेसं भक्खविहिं पच्चक्खामि / उसके अनन्तर उसने भक्ष्य-विधि का परिमाण किया-- मैं घयपुण्ण [घृतपूर्ण]-घेवर, खंडखज्ज [खण्डखाद्य] खाजे, इन के सिवाय और सभी पकवानों का परित्याग करता हूं। 35. तयाणंतरं च णं ओदणविहिपरिमाणं करेइ। नन्नत्थ कलमसालि-ओदणेणं, अवसेसं ओदण-विहिं पच्चक्खामि / तब उसने प्रोदन विधि का परिमाण किया Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org