________________ प्रथम अध्ययन : गाथापति आनन्द] [29 गाड़ियां घर संबंधी माल-असबाव ढोने आदि में प्रयुक्त के सिवाय मैं सब गाड़ियों के परिग्रह का परित्याग करता हूं। 21. तयाणंतरं च णं वाहणविहिपरिमाणं करेइ, नन्नत्थ चर्हि वाहणेहि दिसायत्तिह, चर्हि वाहणेहि संवाहणिएहि, अवसेसं सव्वं वाहणविहिं पच्चक्खामि / फिर उसने वाहनविधि--जलयान रूप परिग्रह का परिमाण किया चार वाहन दिग्-यात्रिक तथा चार गृह-उपकरण के संदर्भ में प्रयुक्त के सिवाय मैं सब प्रकार के वाहन रूप परिग्रह का परित्याग करता हूं। उपभोग-परिभोग-परिमाण 22. तयाणंतरं च णं उवभोगपरिभोगविहिं पच्चक्खाएमाणे, उल्लणियाविहिपरिमाणं करेइ। नन्नत्य एगाए गंध-कासाईए, अवसेसं सव्वं उल्लणियाविहि पच्चक्खामि / फिर उसने उपभोग-परिभोग-विधि का प्रत्याख्यान करते हुए भीगे हुए शरीर को पोंछने में प्रयुक्त होने वाले अंगोछे-तौलिए आदि का परिमाण किया मैं सुगन्धित और लाल-एक प्रकार के अंगोछे के अतिरिक्त बाकी सभी अंगोछे रूप परिग्रह का परित्याग करता हूं। 23. तयाणंतरं च णं दंतवणविहिपरिमाणं करेइ / नन्नत्थ एगेणं अल्ल-लट्ठीमहुएणं, अवसेसं दंतवणविहिं पच्चक्खामि / तत्पश्चात् उसने दतौन के संबंध में परिमाण किया--.. हरि मुलहठी के अतिरिक्त मैं सब प्रकार के दतौनों का परित्याग करता हूं। 24. तयाणंतरं च णं फलविहिपरिमाणं करेइ / नन्नत्थ एगेणं खीरामलएणं, अवसेसं फलविहिं पच्चक्खामि। तदनन्तर उसने फलविधि का परिमाण कियामैं क्षीर आमलक-दूधिया आंवले के सिवाय अवशेष फल-विधि का परित्याग करता हैं। विवेचन यहाँ फल-विधि का प्रयोग खाने के फलों के सन्दर्भ में नहीं है, प्रत्युत नेत्र मस्तक आदि के शोधन-प्रक्षालन के काम में आने वाले शुद्धिकारक फलों से है / प्रांवले की इस कार्य में विशेष उपयोगिता है / क्षीर आमलक या दूधिया आंवले का तात्पर्य उस कच्चे मुलायम आँवले से है, जिसमें गुठली नहीं पड़ी हो और जो दूध की तरह मीठा हो / यहाँ फलविधि का प्रयोग बाल, मस्तक आदि के शोधन--प्रक्षालन के काम में आनेवाले Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org