________________ कलाचार्य को प्रीतिदान मेघकुमार का पाणिग्रहण प्रीतिदान भगवान् का आगमन मेघकुमार की जिज्ञासा कंचुकी का निवेदन मेघ की भगवत्-उपासना भगवान् की देशना प्रवज्या का संकल्प माता-पिता के समक्ष संकल्पनिवेदन माता का शोक माता-पुत्र का संवाद एक दिवस का राज्य राज्याभिषेक संयमोपकरणों की मांग दीक्षा की तैयारी प्रव्रज्याग्रहण मेघकुमार का उद्वेग प्रतिबोध : पूर्वभवकथन हस्तीभव में जातिस्मरण मंडलनिर्माण अनुकम्पा का फल पुनर्जन्म मृदु उपालम्भ पुनः प्रव्रज्या विहार और प्रतिमावहन उग्र तपश्चरण समाधिमरण पुनर्जन्म-निरूपण अन्त में सिद्धि द्वितीय अध्ययन : संघाट सार : संक्षेप श्रीजम्बू की जिज्ञासा श्रीसुधर्मा द्वारा समाधान धन्य सार्थवाह : भद्रा भार्या xxxxxxxxxxxx990 92 101 103 104 107 0 ~ मद 0 ~ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org