________________ 113 113 114 116 121 122 विजय चोर सन्तान के लिए भद्रा की देवपूजासंबंधी आज्ञा मांगना पति की अनुमति देवों की पूजा पुत्रप्राप्ति पुत्रप्रसव देवदत्त नामकरण पुत्र की हत्या गवेषणा विजय चोर का निग्रह देवदत्त का अन्तिम संस्कार धन्य सार्थवाह का निग्रह धन्य के घर से भोजन भोजन में से विभाग भद्रा का कोप धन्य का छुटकारा धन्य का सत्कार भद्रा के कोप का शमन विजय चोर की अधमगति स्थविर-प्रागमन धन्य की पर्युपासना धन्य की पर्यपासना और स्वर्ग-प्राप्ति उपसंहार 122 123 123 125 126 126 130 तृतीय अध्ययन : अंडक 135 135 सार : संक्षेप जम्बूस्वामी का प्रश्न सुधर्मास्वामी का उत्तर मयूरी के अंडे मित्रों की प्रतिज्ञा गणिका देवदत्ता गणिका के साथ विहार मयूरी का उद्वेग अंडों का अपहरण शंकाशील सागरदत्तपुत्र 135 136 136 Mor Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org