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________________ अनुत्तरोपपातिकसूत्र में प्रभयकुमार के जैनदीक्षा लेने का उल्लेख है / 3 बौद्धदीक्षा लेने का उल्लेख थेरा अपदान व थेर गाथा की अट्ठकथा में है।४४ मज्झिमनिकाय,४५ संयुक्त निकाय 6 आदि में उसके जीवनप्रसंग हैं। राजगृह प्रथम अध्ययन में राजगृह नगर का भी उल्लेख है जहाँ पर भगवान महावीर ने अनेक चातुर्मास किये थे४७ और दो सौ से भी अधिक बार उनके वहाँ समवसरण लगे थे। राजगृह नगर को प्रत्यक्ष देवलोकभूत व अलकापुरी सदृश कहा है / 6 तथागत बुद्ध भी अनेक बार राजगृह में पाए थे / उन्होंने अपने धर्मप्रचार का केन्द्र बनाने का भी प्रयास किया था। भगवान् महावीर गुणशील, मण्डिकुच्छ और मुदगरपाणि आदि उद्यानों में ठहरा करते थे,५० जबकि बुद्ध गृद्धकूट पर्वत, कलंदकनिवाप और बेणुवन से ठहरते थे।५१ राजगृह नगर और उसके सन्निकट नारद ग्राम,५२ कुक्कुटाराम विहार,५3 गध्रकट पहाड़ी यष्टिवन, उरुविल्वग्राम प्रभासवन५५ प्रादि बुद्ध धर्म से सम्बन्धित थे। राजगृह में एक बौद्ध-संगीति हुई थी।५६ जब बिम्बसार बुद्ध का अनुयायी था तब बुद्ध ने राजगृह से वैशाली जाने की इच्छा व्यक्त की। तब राजा ने बुद्ध के लिए सड़क बनवायी और राजगृह से गंगा तक की भूमि को समतल करवाया / 57 राजगृह के प्राचीन नाम गिरिव्रज, वसुमती५८ बार्हद्रथपुरी५६ मगधपुर० वराह, वृषभ, ऋषिगिरि 43. अनुत्तरौपपातिक 1-10 44. खुद्दकनिकाय खण्ड 7 नालंदा, भिक्षजगदीश कश्यप 45. मज्झिमनिकाय 76 46. संयुक्तनिकाय 47. कल्पसूत्र 5-123 (क) व्याख्याप्रज्ञप्ति 7-4, 5-9, 2-5 (ख) प्रावश्यक 473/492/518 48. भगवान् महावीर एक अनुशीलन पृ. 241-43 49. पच्चक्खं देवलोगभूषा एवं अलकापुरीसंकासा / 50. (क) ज्ञाताधर्मकथा पृ. 47, (ख) दशाश्रुतस्कंध 109 पृ. 364. (ग) उपासकदशा 8, पृ. 51 / 51. मज्झिमनिकाय सारनाथ पृ. 234 (ख) मज्झिमनिकाय चलसकलोदायी सुत्तन्त पृ. 305 52. नेपालीज बुद्धिस्ट लिटरेचर पृ. 45 53. वही पृ. 9-10 54. महावस्तु 441 55. नेपालीज बुद्धिस्ट लिटरेचर पृ. 166 56. चुल्लवग्ग ११वां खन्धक 57. धम्मपद कामेंट्री 439-40 58. रामायण 1/32/7 59. महाभारत 24 से 44 60. वही 20-30 25 Jain Education International, For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003474
Book TitleAgam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1989
Total Pages660
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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