________________ 398 1 [ ध्यास्याप्रज्ञप्तिसूत्र [124-2] इसी प्रकार जैसे वैक्रियशरीर के सर्वबन्ध के विषय में कहा गया, वैसे ही यहाँ भी देशबन्ध के विषय में यावत्-कार्मणशरीर तक कहना चाहिए। 125. [1] जस्स गं भंते ! पाहारगसरीरस्स सन्धबंधे से णं भंते ! ओरालियसरीरस्स कि बंधए, प्रबंधए ? गोयमा ! तो बंधए, प्रबंधए / [125-1 प्र.] भगवन् ! जिस जीव के आहारकशरीर का सर्वबन्ध है, वह जीव औदारिकशरीर का बन्धक है या प्रबन्धक ? [125-1 उ.] गौतम ! वह बन्धक है, अबन्धक नहीं / [2] एवं वेउब्वियस्स वि / [125-2] इसी प्रकार वैक्रियशरीर के विषय में कहना चाहिए। [3] तेया-कम्माणं जहेब ओरालिएणं समं भणियं तहेव भाणियन्वं / [125-3] तैजस और कार्मणशरीर के विषय में जैसे औदारिकशरीर के साथ कहा, वैसे यहाँ (आहारकशरीर के साथ) भी कहना चाहिए। 126. जस्स णं भंते पाहारगसरीरस्स देसबंधे से गं भंते ! पोरालियसरीरस्स० ? एवं जहा पाहारगसरीरस्स सध्यबंधेणं भणियं तहा देसबंधण वि भाणियध्वं जाव कम्मगस्स। [126 प्र.] भगवन् ! जिस जीव के प्राहारकशरीर का देशबन्ध है, वह प्रौदारिकशरीर का बन्धक है या अबन्धक ? [126 उ.] गौतम ! जिस प्रकार आहारकशरीर के सर्वबन्ध के विषय में कहा, उसी प्रकार उसके देशबन्ध के विषय में भी यावत्-कार्मणशरीर तक कहना चाहिए। 127. [1] जस्स णं भंते ! तेयासरीरस्स देसबंधे से गं भंते ! ओरालियसरीरस्स कि बंधए, प्रबंधए ? गोयमा ! बंधए वा प्रबंधए वा। [127-1 प्र.] भगवन् ! जिस जीव के तेजसशरीर का देशबन्ध है, वह औदारिकशरीर का बन्धक है या अबन्धक ? [127-1 उ.] गौतम ! वह बन्धक भी है, अबन्धक भी है। [2] जइ बंधए कि देसबंधए, सम्वबंधए ? गोयमा ! देसबंधए वा, सव्वबंधए वा / [127-2 प्र.] भगवन् ! यदि वह औदारिकशरीर का बन्धक है, तो वह क्या देशबन्धक है अथवा सर्वबन्धक है ? Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org