________________ व्याख्याप्रप्तिसूत्र [45 प्र.] भगवन् ! जम्बूद्वीप में सूर्य कितने ऊँचे क्षेत्र को तपाते हैं, कितने नीचे क्षेत्र को तपाते हैं, और कितने तिरछे क्षेत्र को तपाते हैं ? [45 उ.] गौतम ! वे सौ योजन ऊँचे क्षेत्र को तप्त करते हैं, अठारह सौ योजन नीचे के क्षेत्र को तप्त करते हैं, और सैंतालीस हजार दो सौ तिरसठ योजन तथा एक योजन के साठिया इक्कीस भाग (472632) तिरछे क्षेत्र को तप्त करते हैं। विवेचन-उदय, अस्त और मध्याह्न के समय में सूर्यो की दूरी और निकटता के प्रति मास आदि की प्ररूपणा–प्रस्तुत ग्यारह सूत्रों (सू. 35 से 45 तक) में जम्बूद्वीपस्थ सूर्य-सम्बन्धी दूरी और निकटता आदि निम्नोक्त तथ्यों का निरूपण किया गया है १-सूर्य उदय और अस्त के समय दूर होते हुए भी निकट तथा मध्याह्न में निकट होते हुए भी दूर दिखाई देते हैं। २-उदय, अस्त और मध्याह्न के समय सूर्य ऊँचाई में सर्वत्र समान होते हुए भी लेश्या (तेज) के अभिताप से उदय-अस्त के समय दूर होते हुए भी निकट तथा मध्याह्न में निकट होते हुए भी दूर दिखाई देते हैं। ३-दो सूर्य, अतीत-अनागत क्षेत्र को नहीं, किन्तु वर्तमान क्षेत्र को प्रकाशित और उद्योतित करते हैं / वे अतीत-अनागत क्षेत्र की ओर नहीं, वर्तमान क्षेत्र की ओर जाते हैं। ४-वे स्पष्ट क्षेत्र को प्रकाशित करते हैं, अस्पृष्ट क्षेत्र को नहीं; यावत् नियमतः छहों दिशाओं को प्रकाशित तथा उद्योतित करते हैं। ५–सूर्यों की क्रिया प्रतीत-अनागत क्षेत्र में नहीं, वर्तमान क्षेत्र में की जाती है / ६-वे स्पृष्ट क्रिया करते हैं, अस्पृष्ट नहीं, यावत् छहों दिशाओं में स्पृष्ट क्रिया करते हैं। ७--वे सूर्य सौ योजन ऊँचे क्षेत्र को, 1800 योजन नीचे के क्षेत्र को, तथा 472633. योजन तिरछे क्षेत्र को तप्त करते हैं / सर्य के दूर और निकट दिखाई देने के कारण का स्पष्टीकरण—सूर्य समतल भूमि से 800 योजन ऊँचा है, किन्तु उदय और अस्त के समय देखने वालों को अपने स्थान की अपेक्षा निकट दृष्टिगोचर होता है, इसका कारण यह है कि उस समय उसका तेज मन्द होता है / मध्याह्न के समय देखने वालों को अपने स्थान की अपेक्षा दूर मालूम होता है, इसका कारण यह है कि उस समय उसका तीन तेज होता है। इन्हीं कारणों से सूर्य निकट और दूर दिखाई देता है। अन्यथा उदय, अस्त और मध्याह्न के समय सूर्य तो समतल भूमि से 800 योजन ही दूर रहता है। सर्य को गति : अतीत, अनागत या वर्तमान क्षेत्र में ? ---यहाँ क्षेत्र के साथ अतीत, अनागत और वर्तमान विशेषण लगाए गए हैं / जो क्षेत्र अतिक्रान्त हो गया है, अर्थात्—जिस क्षेत्र को सूर्य पार कर गया है, उसे 'अतीतक्षेत्र' कहते हैं। जिस क्षेत्र में सूर्य अभी गति कर रहा है, उसे 'वर्तमानक्षेत्र' कहते हैं, और जिस क्षेत्र में सूर्य गमन करेगा, उसे 'अनागतक्षेत्र' कहते हैं / सूर्य न अतीत क्षेत्र में गमन करता है, न ही अनागतक्षेत्र में गमन करता है, क्योंकि अतीत क्षेत्र अतिक्रान्त हो चुका है और अनागतक्षेत्र अभी पाया नहीं है, इसलिए वह वर्तमान क्षेत्र में ही गति करता है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org