________________ अष्टम शतक : उद्देशक-] [40 प्र.] भगवन् ! जम्बूद्वीप में दो सूर्य, स्पृष्ट क्षेत्र को प्रकाशित करते हैं, अथवा अस्पृष्ट क्षेत्र को प्रकाशित करते हैं ? 40 उ.] गौतम ! वे स्पष्ट क्षेत्र को प्रकाशित करते हैं, अस्पृष्ट क्षेत्र को प्रकाशित नहीं करते; यावत् नियमत: छहों दिशाओं को प्रकाशित करते हैं / 41. जंबुद्दोवे गं भंते ! दीवे सूरिया किं तीयं खेत्तं उज्जोति ? एवं चेव जाव नियमा छद्दिसि / [41 प्र.] भगवन् ! जम्बूद्वीप में दो सूर्य, क्या अतीत क्षेत्र को उद्योतित करते हैं ? इत्यादि प्रश्न पूर्ववत् करना चाहिए। [41 उ.] गौतम ! इस विषय में पूर्वोक्त प्रकार से जानना चाहिए; यावत् नियमत: छह दिशाओं को उद्योतित करते हैं। 42. एवं तवेंति, एवं भासंति जाव नियमा छद्दिसि / [42] इसी प्रकार तपाते हैं; यावत् छह दिशा को नियमतः प्रकाशित करते हैं। 43. जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे सूरियाणं किं तीए खेत्ते किरिया कज्जइ, पड़प्पन्ने खित्ते किरिया कज्जइ, प्रणागए खेत किरिया कज्जइ ? गोयमा ! नो तीए खेत्ते किरिया कज्जइ, पडुप्पन्ने खेत्ते किरिया कज्जइ, णो अगागए खेत्ते किरिया कज्जई। [43. प्र.] भगवन् ! जम्बूद्वीप में सूर्यों को क्रिया क्या अतीत क्षेत्र में की जाती है ? वर्तमान क्षेत्र में ही की जाती है अथवा अनागत क्षेत्र में की जाती है ? 143 उ.] गौतम ! अतीत क्षेत्र में क्रिया नहीं की जाती, और न अनागत क्षेत्र में क्रिया की जाती है, किन्तु वर्तमान क्षेत्र में क्रिया की जाती है / 44. सा भंते ! कि पुट्ठा कज्जति, अपुट्ठा करनइ ? गोयमा ! पुट्ठा कज्जइ, नो अपुट्ठा कज्जति जाव नियमा छद्दिसि / [44 प्र.] भगवन् ! वे सूर्य स्पृष्ट क्रिया करते हैं या अस्पृष्ट ? [44 उ.} गौतम ! वे स्पृष्ट क्रिया करते हैं, अस्पृष्ट क्रिया नहीं करते; यावत् नियमतः छहों दिशाओं में स्पृष्ट क्रिया करते हैं। 45. जंबुद्दीवे गं भंते ! दोवे सूरिया केवतियं खेतं उड्ढं तवंति, केवतियं खेतं आहे तवंति, केवतियं खेतं तिरियं तवंति ? गोयमा ! एग जोयणसयं उड्ढे तवंति, प्रद्वारस जोयणसयाई अहे तवंति, सोयालीसं जोयणसहस्साई दोणि तेवढे जोयणसए एकवीसं च सदिमाए जोयणस्स तिरियं तवति / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org