________________ 354 ] [ व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र 37. जइ गं भंते ! जंबुद्दोवे दीये सूरिया उग्गमणमुहत्तंसि य मज्झतियमुहत्तंसि य अस्थमणमुहत्तंसि जाव उच्चत्तेणं से केणं खाइ अट्ठणं भंते ! एवं वुच्चइ 'जंबुद्दीवे गं दीवे सूरिया उग्गमणमुहत्तंसि दूरे य मूले य दीसंति जाव प्रस्थमणमुहुत्तंसि दूरे य मूले य दीसंति ? गोयमा ! लेसापडिघाएणं उग्गमणमुहुत्तसि दूरे य मूले य दोसंति, लेसाभितावेणं मज्झतियमुहुत्तसि मूले य दूरे य दीसंति, लेस्सापडियाएणं अत्थमणमुहत्तंसि दूरे य मूले य दीसंति, से तेणठेणं गोयमा ! एवं बुच्चइ-जंबुद्दीवे गं दीवे सूरिया उम्गमणमहत्तंसि दूरे य मूले य दीसंति जाव अस्थमण जाव दीसंति / [37 प्र. भगवन् ! यदि जम्बूद्वीप में दो सूर्य, उदय के समय, मध्याह्न के समय और प्रस्त के समय सभी स्थानों पर (सर्वत्र) ऊँचाई में समान हैं तो ऐसा क्यों कहते हैं, कि जम्बूद्वीप में दो सूर्य उदय के समय दूर होते हुए भी निकट दिखाई देते हैं, यावत् अस्त के समय में दूर होते हुए भी निकट दिखाई देते हैं ? [37 उ.] गौतम ! लेश्या (तेज) के प्रतिघात से सूर्य उदय के समय दूर होते हुए भी निकट दिखाई देते हैं / मध्याह्न में लेश्या (तेज) के अभिताप से पास होते हुए भी दूर दिखाई देते हैं और अस्त के समय तेज के प्रतिघात से दूर होते हुए भी निकट दिखाई देते हैं / इस कारण से, हे गौतम ! मैं कहता हूँ कि जम्बूद्वीप में दो सूर्य, उदय के समय दूर होते हुए भी पास में दिखाई देते हैं, यावत् अस्त के समय दूर होते हुए भी निकट दिखाई देते हैं। 38. जंबुद्दीवे णं भंते ! दोवे सूरिया कि तीयं खेत्तं गच्छंति, पडुत्पन्न खेत्तं गच्छति, प्रणागयं खेत्तं गच्छति ? गोयमा ! णो तीयं खेत्तं गच्छति, पड़प्पन्नं खेत्तं गच्छति, यो अणागयं खेत्तं गच्छति / [38 प्र.] भगवन् ! जम्बूद्वीप में दो सूर्य, क्या अतीत क्षेत्र की ओर जाते हैं, वर्तमान क्षेत्र को पोर जाते हैं, अथवा अनागत क्षेत्र की ओर जाते हैं ? [38 उ ] गौतम ! वे अतीत क्षेत्र की ओर नहीं जाते, अनागत क्षेत्र की ओर भी नहीं जाते, वर्तमान क्षेत्र की ओर जाते हैं / 39. जंबुद्दीवे णं बोवे सूरिया कि तीयं खेत्तं प्रोभासंति, पडुप्पन्न खेत्तं ओभासंति, अणागयं खेत्तं प्रोभासंति ? गोयमा ! नो तीयं खेत्तं प्रोमासंति, पडुप्पन्न खेत्तं प्रोभासंति, नो प्रणागयं खेत्तं प्रोभासंति / [36 प्र.] भगवन् ! जम्बूद्वीप में दो सूर्य, क्या अतीत क्षेत्र को प्रकाशित करते हैं, वर्तमान क्षेत्र को प्रकाशित करते हैं या अनागत क्षेत्र को प्रकाशित करते हैं ? [39 उ.] गौतम ! वे अतीत क्षेत्र को प्रकाशित नहीं करते, और न अनागत क्षेत्र को ही प्रकाशित करते हैं, किन्तु वर्तमान क्षेत्र को प्रकाशित करते हैं। 40. तं भंते ! कि पुढें ओभासंति, अपुढें प्रोभासंति ? गोयमा ! पुढे श्रोभासंति, नो अपुढें प्रोभासंति जाब नियमा छसि / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org