________________ अष्टम शतक : उद्देशक-८] [343 [17 उ.] गौतम ! नैरयिक भी बांधता है, तिर्यञ्च भी बांधता है, तिर्यञ्च-स्त्री (मादा) भो बांधती है, मनुष्य भी बांधता है, मानुषी भी बांधती है, देव भी बांधता है और देवी भी बांधती है। 18. तं भंते ! कि इत्थी बंधइ, पुरिसो बंधइ, तहेव जाव नोइत्यीनो-पुरिसोनो-नसओ बंधइ ? गोयमा ! इत्थी वि बंधइ, पुरिसो वि बंधइ, जाव नपुंसगो वि बंधइ / अहवेए य अवगयवेदो य बंधइ, अहवेए य प्रवगयवेया य बंधति / / [18 प्र.] भगवन् ! साम्परायिक कर्म क्या स्त्री बांधती है, पुरुष बांधता है, यावत् नोस्त्रीनोपुरुष-नोनपुंसक बांधता है ? [18 उ.] गौतम ! स्त्री भी बांधती है, पुरुष भी बांधता है, नपुंसक भी बांधता है, अथवा बहुत स्त्रियां भी बांधती हैं, बहुत पुरुष भी बांधते हैं और बहुत नपुसक भी बांधते हैं, अथवा ये सब और अवेदी एक जीव भी बांधता है, अथवा ये सब और बहुत अवेदी जीव भी बांधते हैं / 16. जइ भंते ! अवगयवेदो य बंधइ अवगयवेदा य बंधति तं भंते ! कि इत्थीपच्छाकडो बंधइ, पुरिसपच्छाकडो? एवं जहेव इरियावहियाबंधगस्स तहेव निरवसेसं जाव अहवा इत्थीपच्छाकडा य, पुरिसपच्छाकडा य, नपुसगपच्छाकडा य बंधति / [19 प्र.] भगवन ! यदि वेदरहित एक जीव और वेदरहित बहुत जीव साम्परायिक कर्म बांधते हैं तो क्या स्त्रीपश्चात्कृत जीव बांधता है या पुरुषपश्चात्कृत जीव बांधता है ? इत्यादि प्रश्न (सू. 13 के अनुसार) पूर्ववत् कहना चाहिए। [16 उ.] गौतम ! जिस प्रकार ऐपिथिक कर्मबन्ध के सम्बन्ध में छव्वीस भंग कहे हैं, उसी प्रकार यहाँ भी कहना चाहिए; यावत् (26) बहुत स्त्रीपश्चात्कृत जीव, बहुत पुरुषपश्चात्कृत जीव और बहुत नपुसकपश्चात्कृत जीव बांधते हैं; यहां तक कहना चाहिए। 20. तं भंते ! कि बंधी बंधइ बंधिस्सइ 1; बंधी बंधइन बंधिस्सइ 2, बंधी न बंधई, बंधिस्सइ 3; बंधी न बंधइ, न बंधिस्सइ 4 ? ___ गोयमा ! प्रत्थेगतिए बंधी बंधइ बंधिस्सइ 1; प्रथेगतिए बंधी बंधइ, न बंधिस्सइ 2; प्रत्थेगतिए बंधी न बंधइ, बंधिस्सह 3; प्रथेगतिए बंधी न बंधइ न बंधिस्सइ 4 / [20 प्र.] भगवन् ! साम्परायिक कर्म (1) किसी जीव ने बांधा, बांधता है, और नांधेगा? (2) बांधा, बांधता है और नहीं बांधेगा? (3) बांधा, नहीं बांधता है और बांधेगा? तथा (4) बांधा, नहीं बांधता है, और नहीं बांधेगा? / [20 उ.] गौतम ! (1) कई जीवों ने बांधा, बांधते हैं, और बांधेगे; (2) कितने ही जीवों ने बांधा, बांधते हैं, और नहीं बांधेगे; (3) कितने ही जोवों बांधा है, नहीं बांधते हैं, और बांधेगे; (4) कितने हो जीवों ने बांधा है, नहीं बांधधते हैं, और नहीं बाधेगे / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org