________________ अष्टम शतक : उद्देशक-८] [341 बहुत पुरुषपश्चात्कृत जीव बांधते हैं, या ६-बहुत स्त्रीपश्चात्कृत जीव और एक पुरुषपश्चात्कृत जीव बांधता है, अथवा १०-बहुत स्त्रीपश्चात्कृत जीव और बहुत पुरुषपश्चात्कृत जीव बांधते है, या ११-एक स्त्रीपश्चात्कृत जीव और एक नपुसकपश्चात्कृत जीव बांधता है या १२एक स्त्रीपश्चात्कृत जीव और बहुत नपुसकपश्चात्कृत जीव बांधते हैं, अथवा १३-~बहुत स्त्रीपश्चात् कृत जीव और एक नपुसकपश्चात्कृत जीव बांधता है, या १४-बहुत स्त्रीपश्चात्कृत जीव और बहुत नपुसकपश्चात्कृत जीव बांधते हैं, अथवा १५--एक पुरुषपश्चात्कृत जीव और एक नपुंसकपश्चात्कृत जीव बांधता है, या १६-एक पुरुष-पश्चात्कृत जीव और बहुत नपुसकपश्चात्कृत जीव बांधते हैं, अथवा १७--बहत पूरुषपश्चातकृत जीव और एक नपुसकपश्चातकृत जीव बांधता है, अथवा १८–बहुत पुरुषपश्चातकृत जीव और बहुत नपुसकपश्चात्कृत जीव बांधते हैं ? या फिर 14- एक स्त्रीपश्चातकृत जीव, एक पुरुषपश्चातकृत जीव और एक नपू त जीव बांधता है, अथवा २०-एक स्त्रीपश्चात्कृत जीव, एक पुरुषपश्चात्कृत जीव और बहुत नपुसकपश्चात्कृत जीव बांधते हैं, या २१-एक स्त्रीपश्चात्कृत जीव, बहुत पुरुषपश्चात्कृत जीव और एक नपुसक्रपश्चात्कृत जीव बांधता है ? अथवा २२–एक स्त्रीपश्चात्कृत जीव, बहुत पुरुषपश्चात्कृत जीव और बहुत नपुसकपश्चात्कृत जीव बांधते हैं, या २३–बहुत स्त्रीपश्चात्कृत जीव, एक पुरुषपश्चात्कृत जीव और एक नपुसकपश्चात्कृत जीव बांधता है, अथवा २४–बहुत स्त्रीपश्चात्कृत जीव, एक पुरुषपश्चात्कृत जीव और बहुत नपुसकपश्चात्कृत जीव बांधते हैं, या २५–बहुत स्त्रीपश्चात्कृत जीव, बहुत पुरुषपश्चात्कृत जीव और एक नपुंसकपश्चात् कृत जीव बांधता है, अथवा २६--बहुत स्त्रीपश्चात्कृत जीव, बहुत पुरुषपश्चात्कृत जीव और बहुत नपुंसकपश्चात्कृत जीव बांधते हैं? [13 उ.] गौतम ! ऐपिथिक कर्म (1) स्त्रीपश्चात्कृत जीव भी बांधता है, (2) पुरुषपश्चात्कृत जीव भी बांधता है, (3) नपुसकपश्चात्कृत जीव भी बांधता है, (4) स्त्री पश्चात्कृत जीव भी बांधते हैं, (5) पुरुषपश्चात्कृत जीव भी बांधते हैं, (6) नपुसकपश्चात्कृत जीव भी बांधते हैं, अथवा (7) एक स्त्रीपश्चात्कृत जीव और एक पुरुषपश्चात्कृत जीव भी बांधता है अथवा यावत् (26) बहुत स्त्रीपश्चात्कृत जीव, बहुत पुरुषपश्चात्कृत जीव और बहुत नपुसकपश्चात्कृत जीव भी बांधते हैं। इस प्रकार (प्रश्न में कथित) छन्वीस भंग यहाँ (उत्तर में ज्यों के त्यों) कह देने चाहिए। 14. तं भंते ! कि बंधी बंधई बंधिस्सइ 1, बंधी बंधइ न बंधिस्सइ 2, बंधी न बंध बंधिस्सइ 3, बंधी न बंधइ न बंधिस्सइ 4, न बंधी बंधइ बंधिस्सइ 5, न बंधी बंधइ न बंधिस्सइ 6, न बंधी न बंधइ बंधिस्सइ 7, न बंधी न बंधइ न बंधिस्सइ ? गोयमा ! भवागरिसं पडुच्च प्रत्थेगतिए बंधी बंधइ बंधिस्सइ। प्रत्थेगतिए बंधी बंधइ न बंधिस्सइ / एवं तं चेव सव्वं जाब प्रत्थेगतिए न बंधी न बंधड़ न बंधिस्सइ / महणागरिसं पडुच्च प्रत्येगतिए बंधी, बंधह, बंधिस्सइ, एवं जाव प्रस्थेगतिए न बंधी, बंधइ, बंधिस्सइ / णो चेव णं न बंधी, बंधइ, न बंधिस्सइ / अत्थेगतिए न बंधी, न बंधइ, बंधिस्सइ / अत्थेगतिए न बंधी, न बंधइ, न बधिस्सइ / [14 प्र.] भगवन् ! क्या जीव ने (ऐपिथिक कर्म) १-बांधा है, बांधता है और बांधेगा, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org