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________________ 340] [ व्याख्या प्रज्ञप्तिसूत्र अपेक्षा इसे मनुष्य पुरुष और मनुष्य स्त्रियां बांधती हैं। प्रतिपद्यमान की अपेक्षा मनुष्य-पुरुष बांधता है अथवा मनुष्य स्त्री बांधती है, अथवा बहुत-से मनुष्य-पुरुष बांधते हैं या बहुत-सी मनुष्य स्त्रियाँ बांधती हैं, अथवा एक मनुष्य और एक मनुष्य-स्त्री बांधती है, या एक मनुष्य-पुरुष और बहुत-सी मनुष्य-स्त्रियाँ बांधती हैं, अथवा बहुत-से मनुष्य पुरुष और एक मनुष्य-स्त्री बांधती है, अथवा बहुत-से मनुष्य-नर और बहुत-सी मनुष्य-नारियां बांधती हैं / 12. तं भंते ! कि इत्थी बंधइ, पुरिसो बंधइ, नपुसगो बंधंति, इत्थीयो बंधति, पुरिसा बंधंति, नपुसगा बंधति ? नोइत्थी-नोपुरिसो-नोनपुंसगो बंधइ ? गोयमा ! नो इत्थी बंधइ, नो पुरिसो बंधइ जाव नो नपुंसपो बंधइ / पुवपडिबन्नए पडुच्च अवगयवेदा बंधति, पडिचज्जमाणए य पडुच्च अवगयवेदो वा बंधति, अवगयवेदा वा बंधति / [12 प्र.] भगवन् ! ऐपिथिक (कर्म) बन्ध क्या स्त्री बांधती है, पुरुष बांधता है, नपुंसक बांधता है, स्त्रियाँ बांधती हैं, पुरुष बांधते हैं या नपुंसक बांधते हैं, अथवा नोस्त्री-नोपुरुष-नोनपुसक बांधता है ? [12 उ.] गौतम ! इसे स्त्री नहीं बांधती, पुरुष नहीं बांधता, नपुंसक नहीं बांधता, स्त्रियाँ नहीं बांधतीं, पुरुष नहीं बांधते और नपुसक भी नहीं बांधते, किन्तु पूर्वप्रतिपन्न की अपेक्षा वेदरहित (बहु) जीव बांधते हैं, अथवा प्रतिपद्यमान की अपेक्षा वेदरहित (एक) जीव बांधता है या (बहु) वेदरहित जीव बांधते हैं। 13. जइ भंते ! अवगयवेदो वा बंधइ, अवगयवेदा वा बंधति तं भंते ! किं इत्थीपच्छाकडो बंधइ 1, पुरिसपच्छाकडो बंधइ 2, नपुंसकपच्छाकडो बंधइ 3, इत्थीपच्छाकडा बंधति 4, पुरिसपच्छाकडा वि बंधति 5, नपुसगपच्छाक डा वि बंधति 6, उदाहु इत्थिपच्छाकडो य पुरिसपच्छाकडो य बंधति 4, उदाहु इत्थीपच्छाकडो य णपुसगपच्छाकडो य बंधइ 4, उदाहु पुरिसपच्छाकडो य ग सगपच्छाकडो य बंधइ 4, उदाहू इस्थिपच्छाकड़ो य पूरिसपच्छाकडो य णसगपच्छाकडो य भाणियन्वंद, एवं एते छन्बोसं भंगा 26 जाव उदाहु इत्थीपच्छाकडा य पुरिसपच्छाकडा य नपुसकपच्छाकडा य बंधति ? गोयमा! इस्थिपच्छाकडो वि बंधइ 1, पुरिसपच्छाकडो वि बंधइ 2, नपुंसगपच्छाकडो वि बंधइ 3, इत्थीपच्छाकडा वि बंधति 4, पुरिसपच्छकडा वि बंधति 5, नपुसकपच्छाकडा वि बंधति 6, प्रहवा इत्थीपच्छाक डो य पुरिसपच्छाकडो य बंधइ 7, एवं एए चेव छन्वीसं भंगा भाणियन्वा जाव अहवा इस्थिपच्छाकडा य पुरिसपच्छाकडा य नपुंसगपच्छाकडा य बंधति / [13 प्र.] भगवन् ! यदि वेदरहित एक जीव अथवा वेदरहित बहुत जीव ऐपिथिक (कर्म) बन्ध बांधते हैं तो क्या १-स्त्री-पश्चात्कृत जीव (जो जीव भूतकाल में स्त्रीवेदी था, अब वर्तमान काल में प्रवेदी हो गया है) बांधता है, अथवा २–पुरुष-पश्चात्कृत जीव (जो जीव पहले पुरुषवेदी था, अब अवेदी हो गया है) बांधता है; या ३-नपुंसक-पश्चात्कृत जीव (जो पहले नपुसकवेदी था, अब अवेदी हो गया है) बांधता है ? अथवा ४-स्त्रीपश्चात्कृत जीव बांधते हैं, या ५--पुरुषपश्चात्कृत जीव बांधते हैं, या ६-नपुसकपश्चात्कृत जीव बांधते हैं ? अथवा ७-एक स्त्रीपश्चात्कृत जीव और एक पुरुषपश्चात्कृत जीव बांधता है, या ८-एक स्त्री-पश्चात्कृत जीव Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003473
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages2986
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size69 MB
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