________________ तइओ उद्देसओ : 'रुक्खा' तृतीय उद्देशक : 'वृक्ष' संख्यातजीविक, असंख्यातजीविक और अनन्तजीविक वृक्षों का निरूपण 1. कतिविहा गं भंते ! रुक्खा पण्णता ? गोयमा ! तिबिहा रुक्खा पण्णत्ता, तं जहा–संखेज्जजीविया असंखेज्जजीविया अणंतजीविया / [1 प्र.] भगवन् ! वृक्ष कितने प्रकार के कहे गए हैं ? [1] गौतम ! वृक्ष तीन प्रकार के कहे गए हैं। वे इस प्रकार-(१) संख्यात जीव वाले, (2) असंख्यात जीव वाले और (3) अनन्त जीव वाले / 2. से कि तं संखेज्जजीविया ? संखेज्जजीविया अणेगविहा पणत्ता, तं जहा-ताले तमाले सक्कलि तेतलि जहा पण्णवणाए जाव नालिएरी, जे यावन्ने तहप्पगारा / से तं संखेज्जजीविया। [2 प्र.] भगवन् ! संख्यात जीव वाले वृक्ष कौन-से हैं ? [2 उ.] गोतम ! संख्यात जीव वाले वृक्ष अनेकविध कहे गए हैं। जैसे-ताड़ (ताल), तमाल, तक्कलि, तेतलि इत्यादि, प्रज्ञपनासूत्र (के पहले पद) में कहे अनुसार यावत् नारिकेल (नारियल) पर्यन्त जानना चाहिए / ये और इनके अतिरिक्त इस प्रकार के जितने भी वृक्षविशेष हैं, वे सब संख्यात जीव वाले हैं / यह हुआ संख्यात जीव वाले वृक्षों का वर्णन / 3. से कि तं असंखेज्जजीविया ? असंखेज्जनोविया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा--एगढ़िया य बहुबोयगा य / [3 प्र.] भगवन् ! असंख्यात जीव वाले वृक्ष कौन-से हैं ? [3 उ.] गौतम ! असंख्यात जीव वाले वृक्ष दो प्रकार के कहे गये हैं। यथा-एकास्थिक (एक गुठली-बीज वाले) और बहुबीजक (बहुत बीजों वाले)। 4. से किं तं एगट्टिया? एगढिया अणेगविहा पण्णत्ता, तं जहा-निबंबजंबु एवं जहा पण्णवणापए जाव फला बहुबीयगा / से तं बहुवीयगा / से तं असंखेन्जजीविया / [4 प्र.] भगवन् ! एकास्थिक वृक्ष कौन-से हैं ? [4 उ.] गौतम ! एकास्थिक (एक गुठली या बीज वाले) वृक्ष अनेक प्रकार के कहे गए हैं। जैसे कि-नीम, आम, जामुन ग्रादि / इस प्रकार प्रज्ञापनासूत्र (के प्रथम पद) में कहे अनुसार यावत् Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org