________________ अष्टम शतक : उद्देशक-२] [ 273 106. एवं जाव वोरियस्स लद्धी अलद्धी य भाणियव्वा / [106] इसी प्रकार यावत् वीर्यलब्धियुक्त और वीर्यलब्धिरहित जीवों का कथन करना चाहिए। 110. [1] बालवीरियलद्धियाणं तिणि नाणाई तिणि अण्णाणाई भयणाए / [110-1] बालवीर्यलब्धियुक्त जीवों में तीन ज्ञान और तीन प्रज्ञान भजना से पाए जाते हैं। [2] तस्स अलद्धियाणं पंच नाणाई भयणाए / [110-2] बालवीर्यलब्धिरहित जीवों में पांच ज्ञान भजना से होते हैं। 111. [1] पंडियवीरियलद्धियाणं पंच नाणाई भयणाए। [111-1] पण्डितवीर्यलब्धिमान् जीवों में पांच ज्ञान भजना से पाए जाते हैं / [2] तस्स अलधियाणं मणपज्जधनाणवज्जाइं गाणाई, अण्णाणाणि तिण्णि य भयणाए। [111-2] पण्डितवीर्यलब्धिरहित जीवों में मनःपर्यवज्ञान के सिवाय चार ज्ञान और तीन अज्ञान भजना से पाए जाते हैं। 112. [1] बालपंडियवीरियलधिया णं भंते ! जीवा ? तिण्णि नाणाई भयणाए। [112-1 प्र.] भगवन् ! बाल-पण्डित-वीर्यलब्धि वाले जीव ज्ञानी हैं, या अज्ञानी ? [112-1 उ.] गौतम ! उनमें तीन ज्ञान भजना से होते हैं / [2] तस्स अलधियाणं पंच नाणाई, तिण्णि य अण्णाणाई भयणाए। [112-2] बालपण्डितवीर्यलब्धि-रहित जीवों में पांच ज्ञान और तीन अज्ञान भजना से पाए जाते हैं। 113. [1] इंदियलद्धिया णं भंते ! जोवा कि नाणी, अण्णाणी ? गोयमा ! चत्तारि णाणाई, तिण्णि य अन्नाणाई भयणाए / [113-1 प्र.] भगवन् ! इन्द्रियलब्धिमान् जीव ज्ञानी होते हैं या अज्ञानी ? [113-1 उ.] गौतम ! उनमें चार ज्ञान और तीन अज्ञान भजना से होते हैं / [2] तस्स अलधिया पं० पुच्छा। गोयमा! नाणी, नो अण्णाणी नियमा / एगनाणी-केवलनाणी / |113-2 प्र.] भगवन् ! इन्द्रियलब्धिरहित जीव ज्ञानी होते हैं या अज्ञानी ? [113-2 उ.] गौतम ! वे ज्ञानी होते हैं, अज्ञानी नहीं। वे नियमतः एकमात्र केवलज्ञानी होते हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org