________________ 266] [व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र नौ लब्धिद्वार की अपेक्षा से ज्ञानो-प्रज्ञानी की प्ररूपरणा--- 82. कतिविहा णं भंते ! लद्धी पण्णता? गोयमा! दसविहा लद्धी पण्णत्ता, तं जहा-नाणलद्धी 1 सणलद्धि 2 चरित्तलद्धी 3 चरित्ताचरितलद्धी 4 दाणलद्धी 5 लाभलद्धी 6 भोगलद्धी 7 उवभोगलद्धी 8 वीरियलद्धी 6 इंदियलद्धी 10 / [82 प्र.] भगवन् ! लब्धि कितने प्रकार की कही गई है ? [82 उ.] गौतम ! लब्धि दस प्रकार की कही गई है। वह इस प्रकार-(१) ज्ञानलब्धि, (2) दर्शनलन्धि, (3) चारित्रलब्धि, (4) चारित्राचारित्रलब्धि, (5) दानलब्धि, (6) लाभलब्धि, (7) भोगलब्धि, (8) उपभोगल ब्धि, (6) वीर्यलब्धि और (10) इन्द्रियलब्धि / 83. णाणलद्धी गंभंते ! कतिविहा पण्णत्ता ? गोयमा! पंचविहा पण्णता, तं जहा-प्राभिणिबोहियणाणलद्धी जाव केवलणाणलद्धी। [83 प्र.] भगवन् ! ज्ञानलब्धि कितने प्रकार की कही गई है ? [83 उ.] गौतम ! वह पांच प्रकार की कही गई है। यथा-आभिनिबोधिकज्ञानलब्धि यावत् केवलज्ञानलब्धि / 84. अण्णाणलद्धी णं भंते ! कतिविहा पणता? गोयमा! तिविहा पण्णत्ता, तं जहा---मइअण्णाणलद्धी सुतअण्णाणलद्धी विभंगनाणलद्धी। [84 प्र.] भगवन् ! अज्ञानलब्धि कितने प्रकार की कही गई है ? [84 उ.] गौतम ! अज्ञानलब्धि तीन प्रकार की कही गई है। यथा--मति-अज्ञानलब्धि, श्रुत-अज्ञानलब्धि और विभंगज्ञानलब्धि / 85. सणलद्धी गं भंते ! कतिविहा पण्णत्ता ? गोधमा ! तिविहा पण्णत्ता, तं जहा--सम्मइसणलद्धी मिच्छादसणलद्धी सम्मामिच्छादसणलद्धी। [85 प्र.] भगवन् ! दर्शनलब्धि कितने प्रकार की कही गई है ? [85 उ.] गौतम ! वह तीन प्रकार की कही गई है। वह इस प्रकार सम्यग्दर्शनलब्धि, मिथ्यादर्शनलब्धि और सम्यग्मिथ्यादर्शनलब्धि / 86. चरित्तलद्धी णं भंते ! कतिविहा पणत्ता ? गोयमा ! पंचविहा पण्णत्ता, तं जहा--सामाइयचरित्तलद्धी छेदोवढावणियलद्धी परिहारविसुद्धलद्धी सुहमसंपरायलद्धी प्रहक्खायचरित्तलद्धी। [86 प्र.] भगवन् ! चारित्रलब्धि कितने प्रकार की कही गई है ? Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org