________________ 194] [व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति। // सत्तमसए : नवमो उद्देसो समत्तो / / [२४-प्र.] भगवन् ! वह (वरुण का बालमित्र) वहाँ से (आयु आदि का क्षय होने पर) काल करके कहाँ जाएगा ?, कहाँ उत्पन्न होगा? [२४-उ.] गौतम ! वह भी महाविदेहक्षेत्र में जन्म लेकर सिद्ध होगा, यावत् सर्वदुःखों का अन्त करेगा। हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है, भगवन् ! यह इसी प्रकार है,' यों कह कर, गौतम स्वामी यावत् विचरने लगे। विवेचन-वरुण की देवलोक में और उसके मित्र को मनुष्यलोक में उत्पत्ति और अन्त में दोनों को महाधिवेह से सिद्धि का निरूपण-पूर्वोक्त दोनों पाराधक योद्धाओं के उज्ज्वल भविष्य का इन चार सूत्रों द्वारा प्रतिपादन किया गया है / निष्कर्ष-रथमूसलसंग्राम में 66 लाख मनुष्य मारे गए। उनमें से एक वरुण नागनत्तमा देवलोक में गया और उसका बालमित्र मनुष्यगति में गया, शेष सभी प्राय: नरक या नियंचगति के मेहमान बने / // सप्तम शतक : नवम उद्देशक समाप्त / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org