________________ छठा शतक : उद्देशक-९] [ 97 8. विशुद्ध लेश्यावाला देव, अनुपयुक्त आत्मा द्वारा, विशुद्ध लेश्यावाले, देव, देवी या अन्यतर को जानता-देखता है ? [आठों प्रश्नों का उत्तर] गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं है / (अर्थात्-नहीं जानता-देखता।) [6 प्र.] भगवन् ! विशुद्ध लेश्यावाला देव क्या उपयुक्त आत्मा से अविशुद्ध लेश्यावाले देव, देवी या अन्यतर को जानता-देखता है ? [9 उ.] हाँ गौतम ! ऐसा देव जानता और देखता है। [10 प्र.] इसी प्रकार क्या विशुद्ध लेश्यावाला देव, उपयुक्त आत्मा से विशुद्ध लेश्यावाले देव, देवी या अन्यतर को जानता-देखता है ? [10 उ.] हाँ गौतम ! वह जानता-देखता है / [11 प्र.] विशुद्ध लेश्यावाला देव, उपयुक्तानुपयुक्त प्रात्मा से, अविशुद्ध लेश्यावाले देव, देवी या अन्यतर को जानता-देखता है ? / [12 प्र.] विशुद्ध लेश्यावाला देव, उपयुक्तानुपयुक्त प्रात्मा से, विशुद्ध लेश्यावाले देव, देवी या अन्यतर को जानता-देखता है ? 11-12 उ.] हाँ गौतम ! वह जानता और देखता है। यों पहले (निचले) जो पाठ भंग कहे गए हैं, उन आठ भंगों वाले देव नहीं जानते-देखते / किन्तु पीछे (ऊपर के) जो चार भंग कहे गए हैं, उन चार भंगों वाले देव, जानते और देखते हैं / 'हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है, हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है,' यों कह कर श्री गौतम स्वामी यावत् विचरण करने लगे। विवेचन-अविशुद्ध-विशुद्ध लेश्यायुक्त देवों द्वारा अविशुद्ध-विशुद्ध लेश्यावाले देवादि को जानने-देखने सम्बन्धी प्ररूपणा–प्रस्तुत सूत्र में मुख्यतया 12 विकल्पों द्वारा देवों द्वारा देव, देवी एवं अन्यतर को जानने-देखने के सम्बन्ध में प्ररूपणा की गई है। तीन पदों के बारह विकल्प (1) अविशुद्धलेश्यायुक्त देव अनुपयुक्त आत्मा से अशुद्धलेश्यावाले देवादि को......" (2) अविशुद्धलेश्यायुक्त देव अनुपयुक्त प्रात्मा से विशुद्धलेश्यावाले देवादि को....... (3) अविशुद्धलेश्यायुक्त देव उपयुक्त आत्मा से अविशुद्धलेश्यावाले देवादि को........ (4) अविशुद्धलेश्यायुक्त देव उपयुक्त प्रात्मा से विशुद्धलेश्यावाले देवादि को...... (5) अविशुद्धलेश्यायुक्त देव उपयुक्तानुपयुक्त प्रात्मा से अविशुद्धलेश्यावाले देवादि को..... (6) अविशुद्धलेश्यायुक्त देव उपयुक्तानुपयुक्त प्रात्मा से विशुद्धलेश्यावाले देवादि को...... (7) विशुद्धलेश्यायुक्त देव अनुपयुक्त प्रात्मा से अविशुद्धलेश्यावाले देवादि को...... (8) विशुद्धलेश्यायुक्त देव अनुपयुक्त आत्मा से विशुद्धलेश्यावाले देवादि को ....... (9) विशुद्धलेश्यायुक्त देव उपयुक्त आत्मा से अविशुद्धलेश्यावाले देवादि को... (10) विशुद्धलेश्यायुक्त देव उपयुक्त आत्मा से विशुद्धलेश्यावाले देवादि को ....... For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org