________________ 484] [व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र [2] एवं परमाणुपोग्गले दुपदेसियं फुसमाणे सत्तम-णवमेहि फुसति / [11-2] इसी प्रकार द्विप्रदेशी स्कन्ध को स्पर्श करता हुआ परमाणु-पुद्गल सातवें (सर्व से एकदेश का) अथवा नौवें (सर्व से सर्व का), इन दो विकल्पों से स्पर्श करता है / [3] परमाणुपोग्गले तिपदेसियं फुसमाणे निप्पच्छिमएहि तिहि फुसति / [11-3] त्रिप्रदेशोस्कन्ध को स्पर्श करता हया परमाणुपुद्गल (उपयुक्त नौ विकल्पों में से) अन्तिम तीन विकल्पों (सातवें, आठवें और नौवें) से स्पर्श करता है / (अर्थात्-७-सर्व से एकदेश को, ८-सर्व से बहुत देशों को और ९-सर्व से सर्व को स्पर्श करता है।) [4] जहा परमाणुपोग्गलो तिपदेसियं कुसाविमो एवं फुसावेयन्वो जाव अणंतपदेसियो / [11-4] जिस प्रकार एक परमाणुपुद्गल द्वारा त्रिप्रदेशीस्कन्ध के स्पर्श करने का पालापक कहा गया है, उसी प्रकार एक परमाणुपुद्गल से चतुष्प्रदेशीस्कन्ध, पंचप्रदेशी स्कन्ध यावत् संख्यातप्रदेशी स्कन्ध, असंख्यातप्रदेशीस्कन्ध एवं अनन्तप्रदेशीस्कन्ध तक को स्पर्श करने का पालापक कहना चाहिए। (अर्थात्-एक परमाणुपुद्गल अनन्तप्रदेशी स्कन्ध तक को तीन विकल्पों से स्पर्श करता है।) 12. [1] दुपदेसिए णं भाते ! खंधे परमाणुपोग्गलं फुसमाणे पुच्छा ? ततिय-नवमेहि फुसति / [12-1 प्र.) भगवन् ! द्विप्रदेशी स्कन्ध परमाणु पुद्गल को स्पर्श करता हुआ किस प्रकार स्पर्श करता है ? [12-1 उ.] हे गौतम ! (द्विप्रदेशीस्कन्ध परमाणुपुद्गल को) तीसरे और नौवें विकल्प से (अर्थात्-एकदेश से सर्व को, तथा सर्व से सर्व को) स्पर्श करता है। [2] दुपएसियो दुपदेसियं फुसमाणो पढम-तइय-सत्तम-णवमेहि फुसति / [12-2] द्विप्रदेशीस्कन्ध, द्विप्रदेशीस्कन्ध को स्पर्श करता हुआ पहले, तीसरे, सातवें और नौ विकल्प से स्पर्श करता है। [3] दुपएसियो तिपदेसियं फुसमाणो प्रादिल्लएहि य पच्छिल्लएहि य तिहि फुसति, मज्झिमएहि तिहि बि घडिसेहेयव्वं / 12-3] द्विप्रदेशीस्कन्ध, त्रिप्रदेशीस्कन्ध को स्पर्श करता हुआ आदिम तीन (प्रथम, द्वितीय और तृतीय) तथा अन्तिम तीन (सप्तम, अष्टम और नवम) विकल्पों से स्पर्श करता है / इसमें बीच के तीन (चतुर्थ, पंचम और षष्ठ) विकल्पों को छोड़ देना चाहिए। [4] दुपदेसियो जहा तिपदेसियं फुसावितो एवं फुसावेयवो जाव अणंतपदेसियं / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org