________________ 466 ] [ व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र [5 प्र.] भगवन् ! भाण्ड (किराने का सामान) बेचते हुए किसी गृहस्थ का वह किराने का माल कोई अपहरण कर (चुरा) ले, फिर उस किराने के सामान की खोज करते हुए उस गृहस्थ को, हे भगवन् ! क्या आरम्भिकी क्रिया लगती है, या पारिग्रहिकी क्रिया लगती है ? अथवा मायाप्रत्ययिकी, अप्रत्याख्यानिकी या मिथ्यादर्शन-प्रत्ययिकी क्रिया लगती है ? [5 उ.] गौतम ! (अपहृत किराने को खोजते हुए पुरुष को) प्रारम्भिको क्रिया लगती है, तथा पारिग्रहिकी, मायाप्रत्ययिकी एवं अप्रत्याख्यानिकी क्रिया भी लगती है, किन्तु मिथ्यादर्शनप्रत्ययिकी क्रिया कदाचित् लगती है, और कदाचित् नहीं लगती। (किराने के सामान की खोज करते हुए) यदि चुराया हुया सामान वापस मिल जाता है, तो वे सब (पूर्वोत्त) क्रियाएँ प्रतनु (अल्पहल्की) हो जाती हैं। 6. गाहावतिस्स णं भते ! भंड विक्किणमाणस्स कइए भंडं सातिज्जेज्जा, भंडे य से प्रणवणीए सिया, गाहावतिस्स णं भते ! तापो भडानो कि प्रारंभिया किरिया कज्जइ जाव मिच्छादसणवत्तिया किरिया कज्जइ? कइयस्स वा तायो भंडायो कि प्रारंभिया किरिया कज्जइ जाव मिच्छादसणवत्तिया किरिया कज्जइ ? गोयमा ! माहायतिस्स तानो भंडाप्रो प्रारंभिया किरिया कज्जइ जाव अपच्चक्खाणिया; मिच्छादसणवत्तिया किरिया सिय कज्जइ, सिय नो कज्जइ। कइयस्स गं तारो सवानो पयणुईभवंति। [6 प्र. भगवन् ! किराना बेचने वाले गृहस्थ से किसी व्यक्ति ने किराने का माल खरीद लिया, उस सौदे को पक्का करने के लिए खरीददार ने सत्यंकार (बयाना या साई) भी दे दिया, किन्तु वह (किराने का माल) अभी तक अनुपनीत (ले जाया गया नहीं) है; (बेचने वाले के यहाँ ही पड़ा है / ) (ऐसी स्थिति में) भगवन् ! उस भाण्डविक्रेता को उस किराने के माल से प्रारम्भिकी यावत् मिथ्यादर्शन-प्रत्ययिकी क्रियाओं में से कौन-सी क्रिया लगती है ? [6 उ.] गौतम ! उस गृहपति को उस किराने के सामान से प्रारम्भिकी से लेकर अप्रत्याख्यानिकी तक चार क्रियाएँ लगती हैं। मिथ्यादर्शनप्रत्ययिकी क्रिया कदाचित् लगती है और कदाचित् नहीं लगती। खरीददार को तो ये सब क्रियाएँ प्रतनु (अल्प या हल्की) हो जाती हैं / 7. गाहावतिस्स णं भते ! भंडं विविकणमाणस्स जाव भंडे से उवणीए सिया, कइयस्स णं भते ! तानो मडाम्रो कि प्रारंभिया किरिया कज्जति० ? गाहावतिस्स वा तानो भडायो कि प्रारंभिया किरिया कज्जति? गोयमा ! कइयस्स तापो भंडाम्रो हेट्टिल्लामो चत्तारि किरियानो कज्जति, मिच्छादसणकिरिया भयणाए / गाहावतिस्स गं तानो सब्वासो पयणुईभवंति / [7 प्र.] भगवन् ! किराना बेचने वाले ग्रहस्थ के यहाँ से यावत् खरीददार उस किराने के माल को अपने यहाँ ले आया, (ऐसी स्थिति में) भगवन् ! उस खरीददार को उस (खरीदे हुए) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org