________________ पंचम शतक : उद्देशक-१] [417 समुद्र हैं / अढाई द्वीपों और दो समुद्रों की कुल लम्बाई-चौड़ाई 45 लाख योजन है / अढाई द्वीप में कुल 132 सूर्य और 132 चन्द्र हैं, और वे चर (गतिशील) हैं, इससे पागे के सूर्य-चन्द्र प्रचर (स्थिर) हैं / इसलिए अढाई द्वीप-समुद्रवर्ती मनुष्यक्षेत्र या समयक्षेत्र में ही दिन, रात्रि, अयन, पक्ष, वर्ष प्रादि का काल का व्यवहार होता है। रात्रि-दिवस आदि काल का व्यवहार सूर्य-चन्द्र की गति पर निर्भर होने से तथा इस मनुष्यक्षेत्र के आगे सूर्य-चन्द्र के विमान जहाँ के तहाँ स्थिर होने से, वहाँ दिन रात्रि आदि काल व्यवहार नहीं होता।' ॥पंचम शतक : प्रथम उह शक समाप्त / / 1. (क) भगवतीसूत्र (हिन्दी विवेचनयुक्त) भा. 2, पृ. 773-774 (ख) तत्त्वार्थसूत्र भाष्य अ. 3, मू. 12 से 14 तक, पृ. 83 से 85, तथा प्र. 4, सू. 14-15, पृ. 100 से 103 तक Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org