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________________ पंचम शतक : उद्देशक-१] [ 409 घटती जाती है; और जब सूर्य आभ्यन्तरमण्डल से बाह्यमण्डल की ओर प्रयाण करता है, तब प्रत्येक मण्डल में डेढ़ मिनट से कुछ अधिक रात्रि बढ़ती जाती है तथा दिन उतना ही घटता जाता है / जब सूर्य सर्वाभ्यन्तर मण्डल से निकल कर उसके पास वाले दूसरे मण्डल में जाता है, तब मुहर्त के 10 भाग कम अठारह मुहत्तं का दिन होता है, जिसे शास्त्र में 'अष्टादश-मुहर्तानन्तर' कहते हैं, क्योंकि यह समय 18 मुहूर्त का दिन होने के तुरंत बाद में प्राता है। क्रमशः सूर्य की विभिन्न मण्डलों में गति के अनुसार दिन-रात्रि का परिमाण इस प्रकार है (1) दूसरे से 31 वें मण्डल के अर्द्ध भाग में जब सूर्य जाता है, तब दिन 17 मुहूर्त का, रात्रि 13 मुहूर्त की। (2) 32 वें मण्डल के अर्द्ध भाग में जब सूर्य जाता है, तब 1 मुहूर्त के 21 भाग कम 17 मुहूर्त का दिन और रात्रि मुहूर्त के 6, भाग अधिक 13 मुहूर्स / / (3) ३३वें मण्डल से ६१वें मण्डल में जब सूर्य जाता है, तब 16 मुहूर्त का दिन, 14 मुहूर्त की रात्रि। (4) सूर्य जब दूसरे से ९२वें मण्डल के अर्द्धभाग में जाता है, तब 15-15 मुहर्त के दिन और रात्रि। (5) सूर्य जब १२२वें मण्डल में जाता है, तब दिन 14 मुहूर्त का होता है। (6) सूर्य जब 1533 मण्डल के अर्द्धभाग में जाता है तब दिन 13 मुहूर्त का होता है। (7) सूर्य जब दूसरे से सर्व बाह्य १८३वें मण्डल में होता है, तब' ठीक 12 मुहूर्त का दिन और 18 मुहूर्त की रात होती है। ऋतु से लेकर उसपिरगीकाल तक विविध दिशाओं एवं प्रदेशों (क्षेत्रों) में अस्तित्व को प्ररूपरणा--- 14. जया णं भंते ! जंबु० दाहिणड्ढे वासाणं पढमें समए पडिवज्जति तया णं उत्तरड्ढे वि 1. (क) भगवतीसूत्र अ. वृत्ति, पत्रांक 208-209 (ख) भगवती-हिन्दी विवेचनयुक्त (पं. घेवरचन्दजी) भा. 2, पृ. 760-761 (ग) दिन और रात्रि का कालमान-घंटों के रूप में, 11 मुहर्त =1 घंटा 1 मूहर्त = 48 मिनट / यदि सूर्य 1 मण्डल में 48 घंटे रहता हो तो 48 को 10 का भाग करके भाजक संख्या को तिगुनी करने पर जितने घंटे मिनट आवें, उतनी संख्या दिन के माप की होती है। जैसे 48 घंटे सूर्य रहता है तो 48 : 10 = 43 भागशेष = 1 = 30 मिनट / 10:30 करने से 3 सिर्फ रहता है। इस प्रकार 48 को 10 का भाग देने से 4 // घंटे और 3 मिनट पाते हैं। फिर उसे तीन गुणा करने पर 141 घंटे 9 मिनट आते हैं। अभिप्राय यह है कि जब तक सूर्य एक मण्डल में 48 घंटे तक रहता है, वहाँ तक इतने घंटे (141 घंटे, 9 मिनट) का दिन बड़ा होता है। रात्रि के लिए भी यही बात समझना / अर्थात् --इतना बड़ा दिन हो तो रात्रि 9 // घंटे, 6 मिनट की होती है। -भगवतो. टोकानुवाद टिप्पण. खण्ड 2 पृ. 150 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003473
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages2986
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size69 MB
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