________________ 409 ] [ व्याख्याप्रप्तिसून 12. जदा णं जंबु० दाहिगड्ढे जहन्नए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवति तया णं उत्तरड्ढे वि? जया णं उत्तरड्ढे तया णं जंबुदीवे दीवे मंदरस्स पचयस्स पुरथिमे-पच्चस्थिमे णं उक्कोसिया प्रहारसमुहुत्ता राती भवति ? हंता, गोयमा ! एवं चेव उच्चारेयव्वं जाव राती भवति / [12 प्र. भगवन् ! जब जम्बूद्वीप के मेरुपर्वत से दक्षिणार्द्ध में जघन्य बारह मुहूर्त का दिन होता है, तब क्या उत्तरार्द्ध में भी (इसी तरह होता है)? और जब उत्तरार्द्ध में भी इसी तरह होता है, तब क्या जम्बूद्वीप के मेरुपर्वत से पूर्व और पश्चिम में उत्कष्ट (सबसे बड़ी) अठारह मुहूर्त की रात्रि होती है ? [12 उ.] हाँ, गौतम ! इसी (पूर्वोक्त) प्रकार से सब कहना चाहिए, यावत्.......रात्रि होती है। 13. जदा णं भंते ! जंब० मंदरस्स पव्वयस्स पुरस्थिमेणं जहन्नए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवति तदा णं पच्चत्थिमेण वि०? जया शं पच्चस्थिमेण वि तदा णं जंबु० मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरदाहिणेणं उक्कोसिया अट्ठारसमुहत्ता राती भवति ? हंता, गोयमा ! जाव राती भवति / [13 प्र.] भगवन् ! जब जम्बूद्वीप के मन्दर पर्वत से पूर्व में जघन्य (सबसे छोटा) बारह मुहर्त का दिन होता है, तब क्या पश्चिम में भी इसी प्रकार होता है ? और जब पश्चिम में इसी तरह होता है, तब क्या जम्बूद्वीप के मन्दर-पर्वत के उत्तर और दक्षिण में उत्कृष्ट (सबसे बड़ी) अठारह मुहूर्त को रात्रि होती है ? [13 उ.] हाँ, गौतम ! यह उसी तरह यावत्........ रात्रि होती है। विवेचन-जम्बूद्वीप में दिवस और रात्रि का काल-परिमाण-प्रस्तुत सात सूत्रों में जम्बूद्वीप में दिन और रात का मुहत्तों के रूप में परिमाण बताया गया है। दिन और रात्रि की कालगणना का सिद्धान्त-जैन सिद्धान्त की दृष्टि से दिन और रात्रि मिला कर दोनों कुल 30 मुहूर्त के होते हैं। दक्षिण और उत्तर में दिन और रात्रि का उत्कृष्ट मान 18 मुहूर्त का होगा तो पूर्व और पश्चिम में रात्रि 12 मुहूर्त की होगी / यदि रात्रि पूर्व व पश्चिम में उत्कृष्टतः 18 मुहूर्त की होगी तो दक्षिणार्द्ध एवं उत्तरार्द्ध में जघन्य 12 मुहूर्त का दिन होगा, इसी तरह पूर्व पश्चिम में जघन्य 12 मुहूत्तं का दिन होगा तो उत्तर एवं दक्षिण में रात्रि उत्कृष्ट 18 मुहूर्त क्षणार्द्ध, उत्तराद्ध अथवा पूर्व और पश्चिम में 18 मूहर्तानन्तर का दिन होगा तो पूर्व और पश्चिम में प्रथवा उत्तर और दक्षिण में रात्रि सातिरेक 12 मुहत्तं की होगी। तात्पर्य यह है कि 30 मुहूर्त अहोरात्र में से दिवस का जितना भाग बढ़ता या घटता है, उतना ही भाग, रात्रि का घटता या बढ़ता जाता है। सूर्य के कुल 184 मण्डल हैं। उनमें से जम्बूद्वीप में 65 और लवणसमुद्र में शेष 116 मण्डल हैं 1 जब सूर्य सर्वाभ्यन्तर मण्डल में होता है, तब 18 मुहूर्त का दिन होता है और 12 मुहूर्त की रात्रि होती है। जब सूर्य बाह्यमण्डल से प्राभ्यन्तर मण्डल की ओर पाता है, तब क्रमश: प्रत्येक मण्डल में दिवस बढ़ता जाता है और रात्रि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org