________________ पंचम शतक : उद्देशक-१] [407 [9 प्र.] हे भगवन् ! जब जम्बूद्वीप के दक्षिणार्द्ध में अठारह मुहुर्तानन्तर (मुहूर्त से कुछ कम) का दिवस होता है, तब क्या उत्तरार्द्ध (उत्तर) में भी अठारह मुहूर्तानन्तर का दिवस होता है ? और जब उत्तरार्द्ध में अठारह मुहर्तानन्तर का दिन होता है, तब क्या जम्बूद्वीप में मन्दर पर्वत से पूर्व पश्चिम दिशा में सातिरेक (कुछ अधिक) बारह मुहूर्त की रात्रि होती है ? [9 उ.] हाँ, गौतम ! (यह इसी तरह होती है; अर्थात्--) जब जम्बूद्वीप के ....."यावत् रात्रि होती है। 10. जदा णं भंते ! जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पब्वयस्स पुरस्थिमेणं अट्ठारसमुहताणतरे दिवसे भवति तदा णं पच्चस्थिमेणं अट्ठारसमहत्ताणतरे दिवसे भवति ? जदा णं पच्चस्थिमेणं अद्वारसमहत्ताणं. तरे दिवसे भवति तदा णं जंबूदीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणेणं साइरेगा दुवालसमुहत्ता राती भवति? हंता, गोयमा ! जाव भवति / [10 प्र.] भगवन् ! जब जम्बूद्वीप के मन्दराचल से पूर्व में अठारह मुहानन्तर का दिन होता है, तब क्या पश्चिम में भी अठारह मुहर्त्तानन्तर का दिन होता है ?, और जब पश्चिम में अठारह मुहूर्तानन्तर का दिन होता है, तब क्या जम्बूद्वीप में मेरु-पर्वत से उत्तर दक्षिण में भी सातिरेक बारह मुहूर्त की रात्रि होती है ? [10 उ.) हाँ, गौतम ! (यह इसी तरह) यावत् होती है। 11. एवं एतेणं कमेणं ओसारेयवं-सत्तरसमुहुत्ते दिवसे, तेरस मुहुत्ता राती। सत्तरसमुहत्ताणतरे दिवसे, सातिरेगा तेरसमुहुत्ता राती। सोलसमुहुत्ते दिवसे, चोदसमुहुत्ता राती / सोलसमुहुत्ताणंतरे दिवसे सातिरेगा चोइसमूहुत्ता राती। पतरसमुहुत्ते दिवसे, पन्नरसमहुत्ता राती / पन्नरसमुहत्ताणंतरे दिवसे, सातिरेगा पन्नरसमुहता राती। चोद्दसमुहुते दिवसे, सोलसमहुत्ता राती। चोद्दसमुहुत्ताणतरे दिवसे, सातिरेगा सोलसमुहुत्ता रातो। तेरसमुहत्ते दिवसे, सत्तरसमुहुत्ता रातो। तेरसमहत्ताणंतरे दिवसे, सातिरेगा सत्तरसमहत्ता राती। [11] इस प्रकार इस क्रम से दिवस का परिमाण बढ़ाना-घटाना और रात्रि का परिमाण घटाना-बढ़ाना चाहिए / यथा-जब सत्रह मुहूर्त का दिवस होता है, तब तेरह मुहूर्त्त की रात्रि होती है / जब सत्रह मुहूर्तानन्तर का दिन होता है, तब सातिरेक तेरह मुहूर्त की रात्रि होती है / जब सोलह मुहूर्त का दिन होता है, तब चौदह मुहूर्त की रात्रि होती है / जब सोलह मुहूर्तानन्तर का दिन होता है, तब सातिरेक चौदह मुहर्त की रात्रि होती है / जब पन्द्रह मुहर्त का दिन होता है, तब पन्द्रह मुहर्त की रात्रि होती है / जब पन्द्रह मुहूत्तन्तिर का दिन होता है, तब सातिरेक पन्द्रह मुहूर्त की रात्रि होती है / जब चौदह मुहूर्त का दिन होता, तब सोलह मुहूर्त की रात्रि होती है। जब चौदह मुहूर्तानन्तर का दिन होता है, तब सातिरेक सोलह मुहूर्त की रात्रि होती है। जब तेरह मुहूर्त का दिन होता है, तब सत्रह मुहूर्त की रात्रि होती है। जब तेरह मुहूर्तानन्तर का दिन होता है, तब सातिरेक सत्रह मुहूर्त की रात्रि होती है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org.