________________ सत्तमे एगिदियसए : पढमाइ-एक्कारस-पज्जंता उद्देसगा सप्तम एकेन्द्रियशतक : पहले से ग्यारहवें उद्देशक पर्यन्त छठे एकेन्द्रियशतकानुसार नीललेश्यी-भवसिद्धिक-एकेन्द्रिय-कथन-निर्देश 1. जहा कण्हलेस्सभवसिद्धीए सयं भणियं एवं नीललेस्सभवसिद्धीएहि बि सयं भाणियब्वं / // सत्तमे एगिदियसए : पढमाइ-एक्कारस-पज्जता उद्देसगा समत्ता // 711-11 / / // तेत्तीसइमे सए : सत्तमं एगिदियसतं समत्तं // 33-7 // !i जिस प्रकार कृष्णले श्यो भवसिद्धिक एकेन्द्रिय जीवों का शतक कहा, उसी प्रकार नोललेश्यी भवसिद्धिक एकेन्द्रिय जीवों का शतक भी कहना चाहिए / // सप्तम एकेन्द्रियशतक : पहले से ग्यारहवें उद्देशक तक समाप्त / / // तेतीसवाँ शतक : सप्तम एकेन्द्रियशतक सम्पूर्ण / / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org