________________ 210] [ध्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र 'हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है, भगवन् ! यह इसी प्रकार है, इस प्रकार कह कर गौतमस्वामी यावत् विचरते हैं। विवेचन---- इन सब गमकों की व्याख्या पूर्ववत् जाननी चाहिए। // चौवीसवां शतक : बारहवाँ उद्देशक समाप्त // Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org