________________ तेईसवां शतक : उद्देशक 5] [121 'हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है, भगवन् ! यह इसी प्रकार है', यों कह कर गौतम स्वामी यावत् विचरते हैं। विवेचन--पांचों वर्गों में बतलाई हुई वनस्पतियाँ प्रायः अप्रसिद्ध हैं। प्रज्ञापना के प्रथमपद में इनका विस्तृत वर्णन तथा विवेचन है / जिज्ञासुओं को वहीं देखना चाहिए / // तेईसवां शतक सम्पूर्ण // Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org