________________ 50] [व्याख्याप्राप्तिसूत्र 16. एवं पढम-दोच्चाणं अंतरा समोहयो जाव ईसिपम्भाराए य उववातेयव्यो। [19] इसी प्रकार पहली और दूसरी पृथ्वी के बीच में मरणसमुद्घातपूर्वक अप्कायिक जीवों का यावत् ईषत्प्रारभारा पृथ्वी तक उपपात (आलापक) जानना चाहिए। 20. एवं एएणं कमेणं जाव तमाए अहेसत्तमाए य पुढवीए अंतरा० समोहए, समो० 2 जाव इसिपब्भाराए उववातेयन्वो पाउक्काइयत्ताए। [20] इसी प्रकार इसी क्रम से यावत तमःप्रभा और अधःसप्तमा पृथ्वी के मध्य में मरणसमुद्घातपूर्वक अप्कायिक जीवों का यावत् ईषत्प्रारभारा पृथ्वी तक अप्कायिक रूप से उपपात जानना चाहिए। विवेचन --प्रस्तुत तीन अप्कायिक-विषयक सूत्रों (18 से 20 तक) में पृथ्वीकायिक जीव विषयक पांच सूत्रों (सू. 1 से 5 तक) के अतिदेशपूर्वक अपकायिक जीवों के विषय में निरूपण किया गया है। पृथ्वीकायिक-विषयक सूत्रों के अतिदेशपूर्वक अप्कायिक जीवविषयक (विशिष्ट परिस्थिति में) पूर्व-पश्चात् पाहार-उत्पाद-प्ररूपणा 21. आउयाए णं भंते ! सोहम्मोसाणाणं सणंकुमार-माहिंदाण य कप्पाणं अंतरा समोहते, समोहणित्ता जे भविए इमोसे रयणप्पभाए पुढवीए' घणोदधिवलएसु पाउकाइयत्ताए उववज्जित्तए ? सेसं तं चेव / 21 प्र.] भगवन् ! जो अप्कायिक जीव, सौधर्म-ईशान और सनत्कुमार-माहेन्द्रकल्प के बीच में मरणसमुद्घात करके रत्नप्रभा-पृथ्वी में (घनोदधि और) घनोदधि-वलयों में अप्कायिक-रूप में उत्पन्न होने योग्य है ; इत्यादि पूर्ववत् प्रश्न ? [21 उ.] गौतम ! 'अप्कायिक' इस शब्दोच्चार के सिवाय) शेष सब (निरूपण) पृथ्वीकायिक के समान (सू. 6 के उल्लेखानुसार) जानना चाहिए। 22. एवं एएहिं चेव अंतरा समोहयग्रो जाद अहेसत्तमाए पुढवीए घणोदधिवलएसु आउकाइयत्ताए उववाएयवो। [22] इस प्रकार इन (पूर्वोक्त) अन्तरालों में मरणसमुद्घात को प्राप्त अप्कायिक जीवों का अधःसप्तमपृथ्वी तक के (घनोदधि और) घनोदधिवलयों में अप्कायिकरूप से उपपात कहना चाहिए। 23. एवं जाव अणुत्तरविमाणाणं ईसिपम्भाराए य पुढवीए अंतरा समोहए जाव अहेसत्तमाए घणोदधिवलएसु उववातेयन्त्रो / [23] इसी प्रकार यावत् अनुत्तरविमान और ईषत्प्राग्भारा पृथ्वी के बीच मरणसमुद्घात प्राप्त अप्कायिक जीवों का यावत् अधःसप्तमपृथ्वी तक के (घनोदध्रि और) धनोदधिवलयों में अप्कायिक के रूप में उपपात जानना चाहिए / 1. पाठभेद--यहाँ 'घणोदधि-घणोदधिबलएसु' इस प्रकार का पाठभेद है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org