________________ नौवां उद्देशक परम्परपर्याप्तक चौवीस दण्डकों में पापकर्मादिबन्ध-प्ररूपणा 556 दसवाँ उद्देशक चरम चौवीस दण्डकों में पापकर्मादिबन्ध-प्ररूपणा ग्यारहवाँ उद्देशक अचरम चौवीस दण्डकों में पापकर्मादिवन्ध-प्ररूपणा 558, प्रचरम चौवीस दण्डकों में जानवरणीयादि कर्मबन्ध-प्ररूपणा 559 सत्ताईसवाँ शतक प्रथम से लेकर ग्यारह उद्देशक तक छब्बीसवे शतक की वक्तव्यतानुसार ज्ञानावरणीयादि पापकर्मकरण-प्ररूपणा 563 अट्ठाईसवाँ शतक प्रथम उद्देशक छब्बीसवें शतक में निर्दिष्ट ग्यारह स्थानों से जीवादि के पापकर्म-समर्जन एवं समाचरण का निरूपण द्वितीय उद्देशक अनन्तरोपपन्नक चौवीस दण्डकों में छब्बीसवें शतकानुसार पापकर्मसमर्जन-प्ररूपणा 565 तीसरे से ग्यारह उद्देशक छब्बीसवें शतक के तृतीय से ग्यारहवें उद्देशकानुसार पापकर्मसमर्जन-प्ररूपणा 570 उनतीसवाँ शतक प्रथम उद्देशक जीव और चौवीस दण्डकों में समकाल-विषमकाल की अपेक्षा पापकर्मवेदन के प्रारम्भ और अन्त का निरूपण 571 द्वितीय उद्देशक अनन्तरोपपत्रक चौवीस दण्डकों में ग्यारह स्थानों की अपेक्षा समकाल-विषमकाल को लेकर पापकर्मवेदन ग्रादि की प्ररूपणा तीसरे से ग्यारह उद्देशक छन्वीसवें शतक के तीसरे से ग्यारहवें उद्देशकानुसार सम-विषम-कर्म प्रारम्भ एवं कर्मान्त का निरूपण तीसवां शतक प्राथमिक 577 प्रथम उद्देशक समवसरण और उसके चार भेद 579 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org