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________________ केवल बज्जी संघ (लिच्छवो संघ) को प्रस्तुत करती है / ऐतिहासिक दृष्टि से राजा कणिक की 33 करोड़ सेना और सम्राट चेटक की 59 करोड़ सेना प्रादि का जो वर्णन है वह चिन्तनीय है। इस संख्या के सम्बन्ध में मनीषीगण अपना मोलिक चिन्तन और समाधान प्रस्तुत करें, यह अपेक्षित है। हमने प्रस्तुत प्रसंग को बहुत ही विस्तार के साथ धर्मकथानुयोग को प्रस्तावना में लिखा है / जिज्ञासु पाठक उसका अवलोकन करें। वैदिक परम्परा में देवासुरसंग्राम का जैसा उल्लेख और वर्णन है, वह वर्णन प्रस्तुत आगम के महाशिलाकंटक और रथमूसल संग्राम को पढ़ते हुए स्मरण हो पाता है / देवानन्दा ब्राह्मणी भगवतीमूत्र शतक 5, उद्देशक 33 में देवानन्दा ब्राह्मणो का उल्लेख है। भगवान महावीर एक वार ब्राह्मण कुण्ड ग्राम में पधारे। वहाँ ऋषभदत अपनी पत्नी देवानन्दा के साथ दर्शन के लिए पहुँचा / देवानन्दा महावीर को देखकर रोमाञ्चित हो जाती है। उसका वक्ष उभरने लगता है एवं आँखों से हर्ष के प्राँसू उमड़ते लगते हैं। उसकी कंचुकी टूटने लगी और स्तनों से दूध की धारा प्रवाहित होने लगी। गणधर गौतम ने जिज्ञासा व्यक्त की कि देवानन्दा ब्राह्मणी इतनी रोमाञ्चित क्यों हई है ? उसके स्तनों से दूध की धारा क्यों प्रवाहित हुई है ? भगवान महावीर ने कहा--देवानन्दा मेरी माता है / पुत्रस्नेह के कारण ही यह रोमाञ्चित हुई है। भगवान महावीर ने गर्भ-परिवर्तन की अज्ञात घटना बताई। ऋषभदत्त और देवानन्दा के हर्ष का पार नहीं रहा / उन्होंने प्रवज्या ग्रहण की। गर्भ-परिवर्तन की घटना को जनपरम्परा में एक आश्चर्य के रूप में लिया है। प्राचारांग, 254 समवायांग,२५५ स्थानांगरे 56 अावश्यकनियुक्ति,२५७ प्रभृति में स्पष्ट वर्णन है कि श्रमण भगवान महावीर 82 रात्रि दिवस व्यतीत होने पर एक गर्भ से दुसरे गर्भ में ले जाए गए। जैनागमों की तरह वैदिकपरम्परा के ग्रन्थों में भी गर्भपरिवर्तन का वर्णन प्राप्त है। जब कंस वसुदेव की सन्तानों को समाप्त कर देता था तब विश्वात्मा ने योगमाया को यह आदेश दिया कि वह देवकी का गर्भ रोहिणी के उदर में रखे। विश्वात्मा के आदेश व निर्देश से योगमाया देवकी का गर्भ रोहिणी के उदर में रख देती है। तब पुरवासी अत्यन्त दु:ख के साथ कहने लगे-हाय ! देवकी का गर्भ नष्ट हो गया ! 258 आधुनिक युग में वैज्ञानिकों ने अनेक स्थानों पर परीक्षण करके यह प्रमाणित कर दिया है कि गर्भपरिवर्तन असंभव नहीं है। जमाली भगवतीसूत्र शतक 9, उद्देशक 33 में जमाली और प्रियदर्शना का वर्णन है / विशेषावश्यकभाष्य के अनुसार जमाली महावीर की बहिन सुदर्शना का पुत्र था, अतः उनका भानेज था और महावीर की पुत्री प्रियदर्शना का पति था। इस कारण उनका जामाता भी था / जब भगवान महावीर क्षत्रियकुंड नगर में पधारे तब भगवान् महावीर के पावन प्रवचन को श्रवण कर जमाली अन्य 500 शत्रिय कुमारों के साथ महावीर के संघ में दीशित हुए 254. प्राचारांग द्वि. श्रुतस्कन्ध, पन्ना 388-1-2 255. समवायांग 83, पत्र 83-2 256. स्थानांगसूत्र 411 स्था. 5, पन्ना 309 257. आवश्यकनियुक्ति पृष्ठ 80 से 83 258. गर्ने प्रणीते देवक्या रोहिणी योगनिद्रया / अहो विस्र सितो गर्भ इति पीरा विचक्रशुः / / 15 / श्रीमद्भागवत स्कन्ध 10, पृष्ट 122-123 [75 ] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003473
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages2986
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size69 MB
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