SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 1988
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अठारहवां शतक : उद्देशक 7] [723 देवासुर-संग्राम क्यों और किन शस्त्रों से ?-वैदिक धर्म के ग्रन्थों में देवासुर संग्राम अथवा देवदानव-संग्राम अत्यन्त प्रसिद्ध है। जैन शास्त्रों में यद्यपि सभी जाति के देवों के लिए 'देव' शब्द ही प्रायः प्रयुक्त है, किन्तु यहाँ असुर शब्द नीची जाति के देवों के लिए प्रयुक्त है। वे ईयां, द्वेष आदि के वश उच्चजातीय देवों के साथ युद्ध करते रहते हैं। संग्राम शस्त्रसाध्य है। इसलिए यहाँ प्रश्न किया गया है कि देवों और असुरों में संग्राम छिड़ जाने पर उनके पास शस्त्र कहाँ से आते हैं ? इस प्रश्न के उत्तर में कहा गया है कि देवों के अतिशय पुण्य के कारण जिस वस्तु का, यहाँ तक कि तिनके या पत्ते का भी वे शस्त्रबुद्धि से स्पर्श करते हैं, वहीं उनके शस्त्ररूप में परिणत हो जाता है, अर्थात् वही तीक्ष्ण शस्त्र का कार्य करता है। किन्तु उनकी अपेक्षा असुरों (भवनपति वाणव्यन्तर देवों) के मन्दतर पुण्य होने से उनके शस्त्र पहले से नित्य विकुक्ति होते हैं, वे ही काम में आते हैं, अन्य कोई भी वस्तु उनके छूने से शस्त्ररूप में परिणत नहीं होती।' महद्धिक देषों का लवणसमुद्रादि तक चक्कर लगाकर आने का सामर्थ्य-निरूपण 45. देवे णं भंते ! महिड्डीए जाव महासोक्खे पभू लवणसमुदं अगुपरियट्टित्ताणं हन्धमागच्छित्तए? हंता, पभू। [45 प्र.] भगवन् ! महद्धिक यावत् महासुखसम्पन्न देव लवणसमुद्र के चारों ओर चक्कर लगा कर शीघ्र आने (अनुपर्यटन करने में समर्थ हैं ? [45 उ.] हाँ, गौतम ! (वे ऐसा करने में) समर्थ हैं। 1. (क) भगवती. अ. बृत्ति, पत्र 753 (ख) "वर्तमान में भी कई आध्यात्मिक या दैवीशक्तिसम्पन्न व्यक्ति हैं, जो फल की नाजुक पंखुड़ी या कागज के टुकड़े को भी शस्त्र के रूप में परिणत कर उससे ऑपरेशन कर सकते हैं। रमन बाबा उर्फ रमन बच्चन मुजफ्फरपुर (बिहार) के निवासी हैं। वे अपनी प्राध्यात्मिक शक्ति के प्रभाव से फूल की नाजुक पखुड़ी या फिर कागज के टुकड़े से जिस्म का कोई भी हिस्सा काट कर अॉपरेशन कर सकते हैं। एक 'अलौकिक शक्ति' भगवती द्वारा प्राप्त आध्यात्मिक शक्ति के जरिये वे इस तरीके से ऑपरेशन करते हैं। रमन बाबा का कहना है कि इस तरीके से उन्होंने लगभग 8000 प्रॉपरेशन किये हैं। और वे भी सिर्फ दस मिनट में / इसमें मरीज को कोई दर्द नहीं हुप्रा और ऑपरेशन का निशान भी कुछ ही देर में गायब हो गया। डॉक्टरों ने जिन्हें लाइलाज कह दिया था, ऐसे कैसर, लकवा, अलसर, ब्रनहेमरेज आदि रोगों से पीड़ित रोगियों को ठीक किया है इस स्त्रीच्युग्रल सर्जरी से।" -नवभारत टाइम्स 3 / 1 / 1985 जब देवी शक्ति सम्पन्न मनुष्य भी प्रॉपरेशन के शस्त्र के रूप में कागज या फल की पंखुड़ी को प्रयुक्त कर सकते हैं, तब अतिशय पुण्यसम्पन्न देवों के लिए तृण, काष्ठ आदि को छूने से शस्त्र बन जाना असम्भव नहीं है / --सं. 2. पाठान्तर-महेसक्खे'। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003473
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages2986
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size69 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy