________________ सोलहवां शतक : उद्देशक 6] [571 18. बलदेवमायरो० पुच्छा / गोयमा ! बलदेवमायरो जाव एएसि चोइसण्हं महासुविणाणं अन्नयरे चत्तारि महासुविणे पासित्ताणं पडिबुझति / [18 प्र.] भगवन् ! वलदेव का जीव जब गर्भ में प्राता है, तब बलदेव की माताएँ कितने स्वप्न""इत्यादि पृच्छा ? [18 3. गौतम ! बलदेव की माताएँ, यावत् इन चौदह महास्वप्नों में से किन्हीं चार महास्वप्नों को देख कर जागृत होती हैं / 19. मंडलियमायरो णं भंते ! मं० पुच्छा। गोयमा ! मंडलियमायरो जाव एएसि चोद्दसण्हं महासुविणाणं अन्नयरं एग महासुविणं जाव पडिबुज्झति / [19 प्र.] भगवन् ! माण्डलिक का जीव गर्भ में आने पर माण्डलिक की माताएँ........ इत्यादि पूर्ववत् प्रश्न / [19 उ.] गौतम ! माण्डलिक की माताएँ यावत् इन चौदह महास्वप्नों में से किसी एक महास्वप्न को देख कर जागृत होती हैं / विवेचन--विशिष्ट महापुरुषों के जगत् में आने के संकेत : महास्वप्नों द्वारा-तीर्थकर, चक्रवर्ती ग्रादि श्लाघ्य पुरुष जगत् में जब गर्भ में आते हैं, उनके आने के शुभसंकेत उनकी माताओं को दिखाई देने वाले स्वप्नों से प्राप्त हो जाते हैं। किसकी माता को कितने महास्वप्न दिखाई देते हैं, उनकी यहाँ एक संक्षिप्त तालिका दी जाती है' |१तीर्थकर की माता को 14 2. चक्रवर्ती की माता को 14 3. बासदेव की माता को 7 4. बलदेव की माता को 4 5. माण्डलिक को माता को 1 कठिन शब्दार्थ-पासित्ताणं-देखकर / पडिबुझंति—जागृत होती हैं। महासुविणाणं-महास्वप्नों में से / अन्नयरे-किन्हीं।' विशेष--जब तीर्थकर अथवा चक्रवर्ती का जीव नरक से निकल कर आता है तो उनको माना 'भवन' देखती है और जब देवलोक से च्यव कर पाता है तो 'विमान' देखती है। 1. वियाहपण्णत्तिसुतं भा. 2, (मूलपाठ-टिप्पणयुक्त) पृ. 762-763 2. भगवती. (हिन्दीविवेचन) भा. 5, प. 2558 3. वही, भा. 5, पृ. 2559 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org