________________ 570] [व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र किन्तु विशिष्ट फलसूचक स्वप्नों की अपेक्षा 42 हैं, तथा महत्तम फलसूचक होने से 30 महास्वप्न बतलाए गए हैं / कुल मिलाकर दोनों प्रकार के स्वप्नों की संख्या 72 बतलाई गई है।' तीर्थंकरादि महापुरुषों की माताओं को गर्भ में तीर्थंकरादि के आने पर दिखाई देने वाले महास्वप्नों की संख्या का निरूपण 15. तित्ययरमायरो णं भंते ! तित्थगरंसि गम्भं वक्कममाणंसि कति महासविणे पासित्ताणं पडिबुज्झति? गोयमा ! तित्थगरमायरो णं तित्थगरंसि गभं वक्कममाणंसि एएसि तीसाए महासुविणाणं इमे चोद्दस महासुविणे पासित्ताणं पडिबझंति, तं जहा-गय-वसभ-सीह जाव सिहि च / [15 प्र.] भगवन् ! तीर्थंकर का जीव जब गर्भ में आता है, तब तीर्थंकर की माताएँ कितने महास्वप्न देखकर जागृत होती हैं ? 15 उ. गौतम ! जब तीर्थंकर का जीव गर्भ में आता है, तब तीर्थंकर की माताएँ इन तीस महास्वप्नों में से चौदह महास्वप्न देख कर जागृत होती हैं। यथा-गज, वृषभ, सिंह यावत् अग्नि / 16. चक्फट्टिमायरो णं भंते ! चक्कट्रिसि गम्भं वक्कममाणंसि कति महासविणे जाव बज्झति? गोयमा ! चक्कट्टिमायरो चक्कट्टिसि गम्भं वक्कममाणंसि एएसि तीसाए महासु० एवं जहा तित्थगरमायरो जाव सिहि च / [16 प्र.] भगवन् ! जब चक्रवर्ती का जीव गर्भ में आता है, तब चक्रवर्ती की माताएँ कितने महास्वानों को देख कर जागृत होती हैं ? [16 उ.] गौतम ! चक्रवर्ती का जीव गर्भ में आता है, तब चक्रवर्ती की माताएं इन (पूर्वोक्त) तीस महास्वप्नों में से तीर्थकर की माताओं के समान चोदह महास्वप्नों को देख कर जागृत होती हैं / यथा-गज यावत् अग्नि / 17. वासुदेवमायरो णं पुच्छा। गोयमा ! वासुदेवमायरो जाव बक्कममाणसि एएसि चोदसण्हं अन्नयरे सत्त महासुविणे पासित्ताणं पडिबुज्झति। [17 प्र.] भगवन् ! वासुदेव का जीव जब गर्भ में प्राता है, तब वासुदेव को माताएँ कितने महास्वप्न देखकर जागृत होती हैं ? [17 उ.] गौतम ! वासुदेव का जीव जब गर्भ में आता है, तब बासुदेव की माताएँ इन चौदह महास्वप्नों में से कोई भी सात महास्वप्न देख कर जागृत होती हैं / 1. भगवती, अ. वृत्ति, पत्र 711 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org