________________ 412] [व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र 11. एवं महासुक्कस्स सहस्सारस्स य / [11] इसी प्रकार (पूर्ववत्) महाशुक्र-कल्प और सहस्रारकल्प का अबाधान्तर जानना चाहिए। 12. एवं सहस्सारस्त आणय-पाणयाण य कप्पाणं / |12] इसी प्रकार सहस्रारकल्प और ग्रानत-प्राणतकल्पों का अबाधान्तर है। 13. एवं आणय पाणयाण श्रारणऽच्चुयाण य कप्पाणं / [13] अानत-प्राणतकल्पों और पारण-अच्युतकल्पों का प्रवाधान्तर भी इसी प्रकार है / 14. एवं पारणऽच्चुताणं गेवेज्जविमाणाण य / [14] पारण-अच्युतकल्पों और नैवेयक विमानों का अबाधान्तर भी पूर्ववत् कहना चाहिए / 15. एवं गेवेज्जविमाणाणं अणुतरविमाणाण य / [15] इसी प्रकार अवेयक विमानों और अनुत्तर विमानों का अबाधान्तर समझना चाहिए। 16. अणुत्तरविमाणाणं भंते ! ईसिपम्भाराए य पुढवीए केवतिए० पुच्छा। गोयमा ! दुवालसजोयणे अबाहाए अंतरे पन्नत्ते। [16 प्र.) भगवन् ! अनुत्तरविमानों और ईषत्प्रागभारा पृथ्वी का प्रवाधान्तर कितना कहा गया है ? [16 उ.] गौतम ! (इनका) बारह योजन का अबाधान्तर कहा गया है / 17. ईसिपाभाराए णं भंते ! पुढवीए अलोगस्स य केवतिए प्रबाहाए० पुच्छा। गोयमा ! देसूर्ण जोयणं प्रबाहाए अंतरे पन्नत्ते / [17 प्र.) भगवन् ! ईषत्प्राभारा पृथ्वी और अलोक का कितना अबाधान्तर कहा गया है ? [17 उ.] गौतम ! (इन दोनों का) अबाधान्तर देशोन योजन (एक योजन से कुछ कम) का कहा गया है / विवेचन-अबाधा-अन्तर को परिभाषा--यद्यपि अन्तर शब्द मध्य, विशेष आदि अनेक अर्थी में प्रयुक्त होता है, अत: यहाँ अन्य अर्थों को छोड़ कर एकमात्र व्यवधान अर्थ ही गृहीत हो, इसलिए 'अबाधा' शब्द को 'अन्तर' के पूर्व जोड़ा गया है। बाधा कहते हैं-परस्पर संश्लेष होने से होने वाली टक्कर (संघर्षण) को। वैसी बाधा न हो, इसका नाम अबाधा / अवाधापूर्वक अन्तर अर्थात्--- व्यवधान, या दूरी अबाधान्तर है / सभी प्रश्नों का प्राशय यह है कि एक पृथ्वी से दूसरी पृथ्वी अादि की दूरी कितनी है ? ' 1. (क) भगवती. अ. वृत्ति, पत्र 652 (ख) भगवती. (प्रमेय चन्द्रिकाटीका) भा. 11, 5-358 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org