________________ 400] [व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र हैं / इस अपेक्षा से यह कहा जाता है कि वे अपन दोनों के भावी तुल्य अवस्थारूप अर्थ को जानतेदेखते हैं।' छह प्रकार का तुल्य 4. कतिविधे गं भंते ! तुल्लए पन्नत्ते ? गोयमा! छव्यिहे तुल्लए पन्नते, तं जहा–दम्वतुल्लए खेत्ततुल्लए कालतुल्लए भवतुल्लए भावतुल्लए संठाणतुल्लए। [4 प्र.] भगवन् ! तुल्य कितने प्रकार का कहा गया है ? [4 उ.] गौतम ! तुल्य छह प्रकार का कहा गया है। यथा-(१) द्रव्यतुल्य, (2) क्षेत्रतुल्य, (3) कालतुल्य, (4) भवतुल्य, (5) भावतुल्य और (6) संस्थानतुल्य / विवेचन–तुल्य शब्द का अर्थ-जिन एक कोटि के पदार्थों में एक दूसरे से समानता हो, वहाँ उनमें परस्पर तुल्यता का प्रतिपादन किया जाता है / यहाँ द्रव्यादि छह दृष्टियों से तुल्य का कथन है। द्रव्य-तुल्य-निरूपण 5. से केणटुणं भंते ! एवं बच्चइ 'दव्वतुल्लए, दव्वतुल्लए' ? __ गोयमा! परमाणुपोग्गले परमाणुपोग्गलस्स दव्यतो तुल्ले, परमाणुपोग्गले परमाणुपोग्गलवतिरित्तस्स दवओ णो तुल्ले। दुपएसिए खंधे दुपएसियस्स खंधस्स दवओ तुल्ले, दुपएसिए खंधे दुपएसियवतिरित्तस्स खंधस्स दवओ गो तुल्ले / एवं जाब वसपएसिए। तुल्लसंखेज्जपएसिए खंधे तुल्लसंखेज्जपएसियस्स खंधस्स दवओ तुल्ले, तुल्लसंखेज्जपएसिए खंधे तुल्लसंखेज्जपएसियवतिरित्तस्स खंधस्स दब्बओ णो तुल्ले / एवं तुल्लअसंखेज्जप एसिए वि / तुल्ल अणंतपदेसिए वि / से ते?णं गोयमा ! एवं बुच्चति 'दवतुल्लए, दवतुल्लए'। [5 प्र.] भगवन् ! 'द्रव्यतुल्य' द्रव्यतुल्य क्यों कहलाता है ? [5 उ.] गौतम ! एक परमाणु-पुद्गल, दूसरे परमाणु-पुद्गल से द्रव्यतः तुल्य है, किन्तु परमाणु-पुद्गल से भिन्न (व्यतिरिक्त) दूसरे पदार्थों के साथ द्रव्य से तुल्य नहीं है। इसी प्रकार एक द्विप्रदेशिक स्कन्ध दूसरे द्विप्रदेशिक स्कन्ध से द्रव्य की अपेक्षा से तुल्य है, किन्तु द्विपदेशिक स्कन्ध से व्यतिरिक्त दूसरे स्कन्ध के साथ द्विप्रदेशिक स्कन्ध द्रव्य से तुल्य नहीं है। इसी प्रकार यावत् दशप्रदेशिक स्कन्ध तक कहना चाहिए / एक तुल्य-संख्यात-प्रदेशिक स्कन्ध, दूसरे तुल्य-संख्यात-प्रदेशिक स्कन्ध के साथ द्रव्य से तुल्य है परन्तु तुल्प-संख्यात-प्रदेशिक-स्कन्ध से व्यतिरिक्त दूसरे स्कन्ध के साथ द्रव्य से तुल्य नहीं है। इसी प्रकार तुल्य-असंख्यात-प्रदेशिक-स्कन्ध के विषय में भी कहना चाहिए / तुल्यअनन्त-प्रदेशिक-स्कन्ध के विषय में भी इसी प्रकार जानना चाहिए / इसी कारण से हे गौतम ! 'द्रव्यतुल्य' द्रव्यतुल्य कहलाता है। 1. (क) भगवती. (हिन्दीविवेचन) भा. 5, पृ. 2328 (ख) भगवती, अ. वत्ति, पत्र 647 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org