________________ व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र तीनों के विषय में पूर्वोक्त चार दण्डक-इस प्रकार हैं-(१) खेदोपपन्नक दण्डक, (2) वेदोपपन्नक सम्बन्धी प्रायुष्यबन्ध का दण्डक, (3) खदनिर्गत दण्डक, और (4) खेदनिर्गत-सम्बन्धी आयुष्यबंध का दण्डक / ये चारों दण्डक' पूर्वोक्त वक्तव्यतानुसार कहने चाहिए। // चौदहवां शतक : प्रथम उद्देशक समाप्त // 1. भगवती. अ. वृत्ति, पत्र 634 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org