________________ तेरहवां शतक : उद्देशक 9] [345 13. से जहानामए जीवंजीवगसउणए सिया, दो वि पाए समतुरंगेमाणे समतुरंगेमाणे गच्छेज्जा, एवामेव अणगारे०, सेसं तं चेव / 113 प्र.] (भगवन् ! ) जैसे कोई जीवंजीवक पक्षी अपने दोनों पैरों को घोड़े के समान एक साथ उठाता-उठाता गमन करता है; क्या उसी प्रकार भावितात्मा अनगार भी...'इत्यादि प्रश्न पूर्ववत् / - [13 उ.] (हाँ, गौतम ! उड़ सकता है / ) शेष सभी कथन पूर्ववत् जानना चाहिए / 14. से जहाणामए हंसे सिया, तीरातो तीरं अभिरममाणे अभिरममाणे गच्छेज्जा, एवामेव अणगारे हंसकिच्चगतेणं अप्पाणेणं०, तं चेव / [14 प्र. (भगवन ! ) जैसे कोई हंस (विशाल सरोवर के) एक किनारे से दूसरे किनारे पर कोड़ा करता-करता चला जाता है, क्या वैसे ही भावितात्मा अनगार भी हंसवत् विकुर्वणा करके गगन में उड़ सकता है ? [14 उ. (हाँ, गौतम ! उड़ सकता है / ) यहाँ भी सभी वर्णन पूर्ववत् समझना चाहिए / 15. से जहानामए समुद्दवायसए सिया, वीयोओ वीयि डेवेमाणे डेवेमाणे गच्छेज्जा, एवामेव०, तहेव / [15 प्र.] (भगवन् ! ) जैसे कोई समुद्रवायस (समुद्री कौमा) एक लहर (तरंग) से दूसरी लहर का अतिक्रमण करता-करता चला जाता है, क्या वैसे ही भावितात्मा अनगार भी ..."इत्यादि प्रश्न / [15 उ.} यहाँ भी पूर्ववत् उत्तर समझना चाहिए। विवेचन–प्रस्तुत पाठ सूत्रों में पाठ उदाहरण देकर शास्त्रकार ने उनके समान रूप बनाने की भावितात्मा अनगार की वैक्रिय शक्ति के विषय में प्रश्नोत्तर प्रस्तुत किये हैं। पाठ प्रश्न (1) चमगादड़ के समान दोनों पैर वृक्ष आदि पर लटका कर पैर ऊपर सिर नीचा किये हुए रहता है. तद्वत् / (2) यज्ञोपवीत धारण किये हुए विप्र की तरह ? ... (3) जलौका अपने शरीर को पानी में ठेल-ठेल कर चलती है, उस प्रकार ? ......." (4) जैसे बीजबीज पक्षी दोनों पैरों को घोड़े की तरह उठाता-उठाता गमन करता है, क्या उसके समान ? ...... (5) जैसे पक्षी बिडालक एक वृक्ष से दूसरे वृक्ष पर उछलता हुअा जाता है, क्या उसी प्रकार ? ........ (6) जैसे जीवंजीव पक्षी दोनों पैरों को घोड़े की तरह एक साथ उठाता हुया गमन करता है, क्या उस तरह.......? Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org