________________ 338] [प्यास्याप्रज्ञप्तिसूत्र [36 प्र.] भगवन् ! आत्यन्तिकमरण कितने प्रकार का कहा गया है ? [36 उ.] गौतम ! प्रात्यन्तिकमरण पांच प्रकार का कहा गया है। यथा-द्रव्यात्यन्तिकमरण, क्षेत्रात्यन्तिकमरण यावत् भावात्यन्तिकमरण / 37. दम्वातियंतियमरणे णं भंते ! कतिविधे पन्नत्ते? गोयमा ! चउब्धिहे पन्नत्ते, जहा—नेरइयदन्वातियंतियमरणे जाव देवदव्वातियंतियमरणे। [37 प्र. भगवन् ! द्रव्यात्यन्तिकमरण कितने प्रकार का कहा गया है / [37 उ.] गौतम ! द्रव्यात्यन्तिकमरण चार प्रकार का कहा गया है। यथा-नैरयिकद्रव्यात्यन्तिकमरण यावत् देव-द्रव्यात्यन्तिक मरण / 38. से केपट्टणं भंते ! एवं बुच्चति 'नेरइयदव्वातियंतियमरणे, नेरइयदध्यातियंतियमरणे' ? गोयमा ! जंणं नेरइया नेरइयदवे घट्टमाणा जाई दवाई संपतं मरंति, जे णं नेरइया ताई दवाई अणागते काले नो पुणो वि मरिस्संति / से तेणढणं जाध मरणे / [38 प्र.] भगवन् ! नैरयिक-द्रव्यात्यन्तिकमरण नैरयिक-द्रव्यात्यन्तिकमरण क्यों कहलाता है ? [38 उ.] गौतम ! नैरयिक द्रव्य रूप में रहे हुए (वर्तमान) नैरयिक जीव जिन द्रव्यों को इस समय (वर्तमान में) छोड़ते हैं, वे नैरयिक जीव उन द्रव्यों को भविष्यकाल में फिर कभी नहीं छोड़ेंगे / इस कारण हे गौतम ! नैरयिक-द्रव्यात्यन्तिकमरण 'नरयिक-द्रव्यात्यन्ति कमरण' कहलाता है। 39. एवं तिरिक्ख० मणुस्स० देव० / [36] इसी प्रकार तिर्यञ्चयोनिक-द्रव्यात्यन्तिकमरण, मनुष्य-द्रव्यात्यन्तिकमरण एवं देवद्रव्यात्यन्तिक मरण के विषय में कहना चाहिए। 40. एवं खेत्तातियंतियमरणे वि, जाव भावातियंतियमरणे वि / [40] इसी प्रकार (द्रव्यात्यन्तिकमरण के समान) क्षेत्रात्यन्तिकमरण, यावत् (कालात्यन्तिकमरण, भवात्यन्तिकमरण,) भावात्यन्तिकमरण भी जानना चाहिए ! विवेचन—आत्यन्तिकमरण : भेद-प्रभेद-प्रस्तुत पांच सूत्रों (सू. 36 से 40 तक में प्रात्यन्तिकमरण के द्रव्य, क्षेत्र, काल, भव और भाव की अपेक्षा से पांच भेद बताए गए हैं। फिर उनके भी चार गतियों की अपेक्षा से चार-चार भेद किये गए हैं। बालमरण के भेद और स्वरूप 41. बालमरणे गं भंते ! कतिविधे पन्नत्ते? गोपमा ! दुवालसविहे पन्नत्ते तं जहा-वलयमरणे जहा खंदए (स० 2 उ० 1 सु० 26) जाव गिद्धपट्ठ। [41 प्र.] भगवन् ! बालमरण कितने प्रकार का कहा गया है ? Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org