________________ तेरहवां शतक : उद्देशक 7] [329 व्यतीत हो जाने पर भी भाषा का भेदन नहीं होता, क्योंकि तब तक शब्द भाषापरिणाम को छोड़ देते हैं / अतः बोले जाने के पश्चात् वक्ता का उत्कृष्ट प्रयत्न न होने से भाषा का भेदन नहीं हो पाता। भाषा का भेदन तभी तक होता है जब तक शब्द-परिणाम की अवस्था रहती है / वहीं तक भाषा में भाष्यमाणता (बोली जाती हुई भाषा का भाषापन) समझना चाहिए / आशय यह है कि जब कोई बक्ता मन्द प्रयत्न वाला होता है तो वह अपने मुख से अभिन्न शब्दद्रव्यों को निकालता है। वे निकले हुए शब्दद्रव्य असंख्येय एवं अतिस्थूल होने से बाद में उनका भेदन होता है / भिन्न होते हुए वे शब्दद्रव्य संख्येय योजन जाकर शब्दपरिणाम का त्याग कर देते हैं / यदि कोई वक्ता महाप्रयत्न वाला होता है तो आदान-विसर्ग रूप (ग्रहण करने और छोड़ने रूप) दोनों प्रयत्नों से भेदन करके ही शब्दद्रव्यों को त्यागता है। त्यागे हुए वे शब्दद्रव्य सूक्ष्म एवं बहुत होने से अनन्तगुणवृद्धि से बढ़ते हुए छहों दिशाओं में लोक के अन्त तक जा पहुँचते हैं / अत: यह सिद्ध हुआ कि बोली जा रही भाषा का ही भेदन होता है।' मनः आत्मा मन नहीं, जीव का है, मनन करते समय ही मन तथा भेदन 10. आता भंते ! मणे, अन्ने मणे ? गोयमा ! नो आया मणे, अन्ने मणे / [10 प्र.] भगवन् ! मन अात्मा है, अथवा आत्मा से भिन्न ? [10 उ.] गौतम ! अात्मा मन नहीं है / मन (प्रात्मा से) अन्य (भिन्न) है; इत्यादि / 11. जहा भासा तहा मणे वि जाव नो अजीवाणं मणे। [11] जिस प्रकार भाषा के विषय में (विविध प्रश्नोत्तर कहे गए) उसी प्रकार मन के विषय में भी यावत्--अजीवों के मन नहीं होता; (यहाँ तक) कहना चाहिए। 12. पुब्धि भंते ! मणे, मणिज्जमाणे मणे ? 0 एवं जहेव भासा। [12 प्र.] भगवन् ! (मनन से) पूर्व मन कहलाता है, या मनन के समय मन कहलाता है, अथवा मनन का समय बीत जाने पर मन कहलाता है ? [12 उ. गौतम ! जिस प्रकार भाषा के सम्बन्ध में कहा, उसी प्रकार (मन के विषय में भी कहना चाहिए / ) भंते ! मणे मिज्जइ, मणिज्जमाणे मणे भिज्जइ, मणसमयबीतिक्कते मणे मिज्जा ? एवं जहेव भासा। [13 प्र.] भगवन् ! (मनन से) पूर्व मन का भेदन (विदलन) होता है, अथवा मनन करते हुए मन का भेदन होता है, या मनन-समय व्यतीत हो जाने पर मन का भेदन होता है ? 1, (क) भगवती. (हिन्दीविवेचन) भा. 5, पृ. 2249 (ब) भगवती. अ. वत्ति, पत्र 622 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org