________________ 222] [व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र 2-3 उ.) गौतम ! जिसके द्रव्यात्मा होती है, उसके उपयोगात्मा अवश्य होती है और जिसके उपयोगात्मा होती है उसके द्रव्यात्मा अवश्यमेव होती है। जिसके द्रव्यात्मा होती है उसके ज्ञानात्मा भजना (वैकल्पिक रूप) से होतो है (अर्थात्-कदाचित् होती है, कदाचित् नहीं भी होती / ) और जिसके ज्ञानात्मा होती है. उसके द्रव्यात्मा अवश्य होती है। जिसके द्रव्यात्मा होती है, उसके दर्शनात्मा अवश्यमेव होती है तथा जिसके दर्शनात्मा होती है, उसके द्रव्यात्मा भी अवश्य होती है / जिसके द्रव्यात्मा होती है, उसके चारित्रात्मा भजना से होती है, किन्तु जिसके चारित्रात्मा होती है, उसके द्रव्यात्मा अवश्य होती है। जिसके द्रव्यात्मा होती है, उसके वीर्य-प्रात्मा भजना से होती है, किन्तु जिसके वीर्य-प्रात्मा होतो है, उसके द्रव्यात्मा अवश्यमेव होती है। 3. [1] जस्स णं भंते ! कसायाया तस्स जोगाया० पुच्छा। गोयमा ! जस्स कसायाता तस्स जोगाया नियम अस्थि, जस्स पुण जोगाया तस्स कसायाया सिय अस्थि सिय नस्थि। [3-1 प्र.] भगवन् ! जिसके कषायात्मा होती है, क्या उसके योगात्मा होती हैं ? (इत्यादि) प्रश्न हैं। 3-1 उ.] गौतम ! जिसके कषायात्मा होती है, उसके योग-पारमा अवश्य होती है, किन्तु जिसके योग-आत्मा होती है, उसके कषायात्मा कदाचित् होती है, कदाचित् नहीं होती। [2] एवं उवयोगायाए वि समं कसायाता नेयव्वा / [3-2] इसी प्रकार उपयोगात्मा के साथ भी कषायात्मा का परस्पर सम्बन्ध समझ लेना चाहिए। [3] कसायाया य नाणाया य परोप्पर दो विभइयवाओ। [3.3] कषायात्मा और ज्ञानात्मा इन दोनों का परस्पर सम्बन्ध भजना से (कादाचित्क) कहना चाहिए। [4] जहा कसायाया य उवयोगाया य तहा कसायायाय सणाया य / [3-4] कषायात्मा और उपयोगात्मा (के परस्पर सम्बन्ध) के समान हो कषायात्मा और दर्शनात्मा (के पारस्परिक सम्बन्ध) का कथन करना चाहिए। [5] कसायाया य चरित्ताया य दो वि परोप्परं भइयवाओ। [3-5] कषायात्मा और चारित्रात्मा का (परस्पर सम्बन्ध) भजना से कहना चाहिए / [6] जहा कसायाया य जोगाया य तहा कसायाया य वोरियाया य भाणियन्वायो / [3-6] कषायात्मा और योगात्मा के परस्पर सम्बन्ध के समान हो कषायात्मा और वीर्यात्मा के सम्बन्ध का कथन करना चाहिए। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org