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________________ | व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र सोवण्णियाओ तलियाओ 3, अट्ठ सोवणियाओ कविचिआओ 3, अट्ट सोवग्णिए अवएडए 3, अट्ठ सोवणियानो अवयक्काओ 3, अट्ट सोवण्णिए पायपीढए 3, अट्ट सोणियाओ भिसियाप्रो 3, अट्ठ सोवणियाओ करोडियाओ 3, अटु सोवणिए पल्लंके 3, अदु सोवणियाओ पडिसेज्जाओ 3, अट्ठ० हंसासणाई 3, अट्ठ० कोंचासणाई 3, एवं गरुलासणाई उन्नतासणाई पणतासणाई दोहासणाई भद्दासणाई पक्खासणाई मगरासणाहं, अट्ठ० पउमासणाई, अट्ठ० उसभासणाई, अढ० दिसासोवस्थियासणाई, अट्ट' तेल्लसमुगो, जहा रायप्पसेणइज्जे जाव अट्ठ० सरिसवसमुग्गे, अट्ठ खुज्जाओ जहा उववातिए जाव अट्ठ पारसीओ, अट्ट छत्ते, अट्ठ छत्तधारीओ चेडीओ, अट्ट चामराओ, अट्ठ चामरधारीओ चेडीओ, अट्ठ तालियंटे, अट्ठ तालियंटधारीओ चेडीओ, अट्ठ करोडियाओ, अट्ठ करोडियाधारीओ चेडीओ, अट्ठ खीरधातीओ, जाव अट्ठ अंकधातीओ, अट्ठ अंगमदियाओ, अट्ठ उम्मदियाओ, अट्ट पहावियाओ, अट्ठ पसाधियानो, अट्ठ वण्णगपेसीओ, अट्ठ चुण्णगपेसीओ, अट्ठ कोडा(?ड्डा) कारोमो, अट्ठ दवकारीयो, अट्ठ उवत्थाणियाओ, अट्ठ नाडइज्जाओ, अट्ठ कोडुबिणोओ, अट्ठ महासिणीओ, अठ्ठ भंडागारिणीओ, अट्ठ अम्भाधारिणीओ, अट्ठ पुष्फधारिणीओ, अट्ठ पाणिधारिणीओ, अट्ठ बलिकारियाओ, अट्ठ सेज्जाकारीओ, अट्ठ अभितरियाओ पडिहारीओ, अट्ठ बाहिरियाओ पडिहारोओ, अट्ठ मालाकारीओ, अट्ठ पेसणकारीओ, अन्न वा सुबहुं हिरण्णं वा, सुवण्णं वा, कंसं वा दूसं वा, विउलघणकणग जाव संतसावदेज्जं अलाहि जाव आसत्तमाओ कुलवंसाओ पकामं दाउं पकाम परिभोत्तुं पकामं परियामाए। [50] विवाहोपरान्त महाबल कुमार के माता-पिता ने (अपनी पाठों पुत्रवधुओं के लिए) इस प्रकार का प्रीतिदान दिया / यथा-आठ कोटि हिरण्य (चांदी के सिक्के), आठ कोटि स्वर्ण मुद्राएँ (सोनया), पाठ श्रेष्ठ मुकट, पाठ श्रेष्ठ कुण्डल युगल, पाठ उत्तम हार, पाठ उत्तम अद्भहार, पाठ उत्तम एकावली हार, आठ मुक्तावली हार, पाठ कनकाबली हार, पाठ रत्नावली हार, आठ श्रेष्ठ कड़ों की जोड़ी, पाठ बाजूबन्दों की जोड़ी, आठ श्रेष्ठ रेशमी वस्त्रयुगल, पाठ टसर के वस्त्रयुगल, आठ पट्टयुगल, पाठ दुकलयुगल, पाठ श्री, आठ ह्री, पाठ धी, आठ कौति, आठ बुद्धि एवं आठ लक्ष्मी देवियाँ, आठ नन्द, पाठ भद्र, आठ उत्तम तल (ताड़) वृक्ष, ये सब रत्नमय जानने चाहिए / अपने भवन में केतु (चिह्न) रूप आठ उत्तम ध्वज, दस-दस हजार गायों के प्रत्येक व्रज वाले आठ उत्तम व्रज (गोकुल), बत्तीस मनुष्यों द्वारा किया जाने वाला एक नाटक होता है, ऐसे आठ उत्तम नाटक, श्रीगहरूप पाठ उत्तम प्रश्व, ये सब रत्नमय जानने चाहिए। भाण्डागार (श्रीगह) के समान आठ रत्नमय उत्तमोत्तम हाथी, आठ उत्तम यान, पाठ उत्तम युग्य (एक प्रकार का वाहन), आठ शिविकाएँ, पाठ स्यन्दमानिका (पुरुषप्रमाण-म्याना, या पालको) इसी प्रकार आठ गिल्ली (हाथी की अम्बाड़ी), आठ दिल्ली (घोड़े का पलाण ---काठी), आठ श्रेष्ठ विकट (खुले) यान, पाठ पारियानिक (क्रीड़ा करने के) रथ, आठ संग्रामिक (युद्ध के समय उपयोगी) रथ, आठ उत्तम अश्व, आठ उत्तम हाथी, दस हजार कुलों-परिवारों का एक ग्राम होता है, ऐसे पाठ उत्तम ग्राम ; पाठ 1. देखिये राजप्रश्नीयसूत्र में अट्ठ कुट्ठसमुग्गे, एवं पत्त-चोय-तार-एल-हरियाल-हिंगुलय-मणोसिल-अंजणसमुग्गे / - राजप्रश्नीय पृ. 1-1 कण्डिका 107 (गुर्जर ग्रन्थ) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003473
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages2986
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size69 MB
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