________________ [व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र [20-1 उ.] पार्यो ! (सुरूपेन्द्र भूतराज की) चार अग्रहिषियाँ हैं / यथा--रूपवती, बहुरूपा, सुरूपा और सुभगा। इनमें से प्रत्येक देवी (अग्नमहिषी) के परिवार आदि का वर्णन कालेन्द्र के समान जानना चाहिए। [2] एवं पडिरूवगस्स वि / [20-2] इसी प्रकार प्रतिरूपेन्द्र के (देवी-परिवार प्रादि के) विषय में भी जानना चाहिए / 21. [1] पुण्णभहस्सणं शंते ! क्खिदस्स० पुच्छा / अज्जो ! चत्तारि अग्गमहिसीनो पन्नत्ताओ, तं जहा---पुण्णा बहुपुत्तिया उत्तमा तारया / तत्थ णं एगमेगाए० सेसं जहा कालस्स० / [21-1 प्र.] भगवन् यक्षेन्द्र यक्षराज पूर्णभद्र की कितनी अग्रमहिषियाँ हैं ? [21-1 उ.] पार्यो ! (पूर्णभद्रेन्द्र की) चार अग्रहिषियाँ हैं। यथा—पूर्णा, बहुपुत्रिका, उत्तमा और तारका / इनमें प्रत्येक देवी (अनमहिषी) के परिवार आदि का वर्णन कालेन्द्र के समान जानना चाहिए। [2] एवं माणिभद्दस्स वि। [21-2] इसी प्रकार माणिभद्र (यक्षेन्द्र) के विषय में भी जान लेना चाहिए / 22. [1] भीमस्स णं भंते ! रसिदस्स० पुच्छा / अज्जो ! चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नत्तानो, तं जहा-पउमा पउमावती कणगा रयणप्पभा / तत्थ णं एगमेगा० सेसं जहा कालस्स / [22-1 प्र. भगवन् ! राक्षसेन्द्र राक्षसराज भीम के कितनी अग्रहिषियाँ कही गई हैं ? [22-1 उ.) आर्यो ! (भीमेन्द्र की) चार अग्रमहिषियाँ कही गई हैं। वे इस प्रकार-पद्मा, पद्मावती, कनका और रत्नप्रभा। इनमें से प्रत्येक देवी (अग्रमहिषी) के परिवार आदि का वर्णन कालेन्द्र के समान जानना चाहिए। . [2] एवं महाभीमस्स बि / [22-2] इसी प्रकार महाभीम (राक्षसेन्द्र) के विषय में भी जान लेना चाहिए। 23. [1] किन्नरस्स गं भंते ! 0 पुच्छा। अज्जो! चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ, तं जहा---बडेंसा केतुमती रतिसेणा रतिप्पिया / तत्थ पं० सेसं तं चेव / [23-1 प्र.] भगवन् ! किन्नरेन्द्र की कितनी अग्रमाहिषियाँ हैं ? 23-1 उ.] प्रायों ! (किन्नरेन्द्र की) चार अग्रमहिषियाँ हैं / वे इस प्रकार हैं-१. अवतंसा, 2. केतुमती, 3. रतिसेना और 4. रतिप्रिया / इनमें से प्रत्येक अनमहिषी के देवी-परिवार के विषय में पूर्वोक्तरूप से जानना चाहिए। [2] एवं किपुरिसस्स वि / [23.2] इसी प्रकार किम्पुरुषेन्द्र के विषय में कहना चाहिए। 24. [1] सप्पुरिसस्स f0 पुच्छा / प्रज्जो! चत्तारि अम्गमाहिसीनो पन्नलायो, तं जहा... रोहिणी नवमिया हिरो पुष्फवती / तत्थ णं एगमेगा०, सेसं तं चेव / [24-1 प्र.] भगवन् ! सत्पुरुषेन्द्र की कितनी अग्रमहिषियाँ हैं ? Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org