________________ वशम शतक : उद्देशक-४] [607 दृष्टि से नित्यता और पर्यायाथिक-दष्टि से व्यक्तिगत रूप से अनित्यता किन्तु प्रवाहरूप से अविच्छिन्नता का प्रतिपादन पूर्वसूत्रों के अतिदेश द्वारा किया गया है / ' धरणेन्द्र से महाघोषेन्द्र-पर्यन्त के त्रास्त्रिशक देवों की नित्यता का निरूपण--- 9. [1] अस्थि णं भंते ! धरणस्स नागकुमारिदस्स नागकुमाररण्णो तावत्तीसगा देवा, तावत्तीसगा देवा ? हंता, अस्थि / [6-1 प्र.) भगवन् ! क्या नागकुमारराज नागकुमारेन्द्र धरण के त्रास्त्रिशक देव हैं ? [8-1 उ.] हाँ, गौतम ! हैं / [2] से केणठेणं जाव तावत्तीसगा देवा, तावत्तीसगा देवा ? गोयमा ! धरणस्स नागकुमारिदस्स नागकुमाररण्णो तावत्तीसगाणं देवाणं सासए नामधेज्जे पण्णते, जं न कदायि नासी, जाव अन्ने चयंति, अन्ने उववज्जति / [6-2 प्र.] भगवन् ! किस कारण से ऐसा कहते हैं कि नागकुमारेन्द्र नागकुमारराज धरण के त्रास्त्रिशक देव हैं ? [1-2 उ. गौतम ! नागकुमारराज नागकुमारेन्द्र धरण के त्रास्त्रिशक देवों के नाम शाश्वत कहे गये हैं। वे किसी समय नहीं थे, ऐसा नहीं है; 'नहीं रहेंगे'—ऐसा भी नहीं; यावत् पुराने च्यवते हैं और (उनके स्थान पर) नये उत्पन्न होते हैं। (इसलिए प्रवाहरूप से वे अनादिकाल से हैं / 10. एवं भूयाणंदस्स वि / एवं जाव महाघोसस्स / [10] इसी प्रकार भूतानन्द इन्द्र, यावत् महाघोष इन्द्र के त्रास्त्रिशक देवों के विषय में जानना चाहिए। विवेचन-धरणेन्द्र से महाघोषेन्द्र तक के त्रायस्त्रिशक देवों की नित्यता-सूत्र 6 एवं 10 में प्रतिपादित है / शक्रेन्द्र से अच्युतेन्द्र तक के त्रास्त्रिशक : कौन और कैसे ? 11. [1] अस्थि णं भंते ! सक्कस्स देविदस्स देवरण्णो० पुच्छा। हंता, अस्थि / [11-1 प्र. भगवन् ! क्या देवराज देवेन्द्र शक के त्रास्त्रिशक देव हैं ? इत्यादि प्रश्न / [11-1 उ.] हाँ, गौतम ! हैं। [2] से केणट्टेणं जाव तावत्तीसगा देवा, तावत्तीसगा देवा ? एवं खलु गोयमा ! तेणं कालेणं तेणं समएणं इहेव जंबुद्दीवे दीवे मारहे वासे वालाए नामं सन्निवेसे होत्था / वण्णओ। तत्थ णं वालाए सन्निवेसे तावत्तीसं सहाया गाहावती समणोवासगा जहा चमरस्स जाब विहरति / तए णं ते तावत्तीसं सहाया गाहावतो समणोवासगा पुवि पि पच्छा वि उग्गा 1. बियाहपपत्तिमुत्तं (मूलपाठ टिप्पण). भा. 2, पृ. 895 ----- Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org