________________ दशम शतक : उद्देशक-३ ] [601 (11) व्याकृता-स्पष्ट अर्थवाली भाषा / (12) अव्याकृता अस्पष्ट उच्चारण वाली या गंभीर अर्थ वाली भाषा / 'हम पाश्रय करेंगे', इत्यादि भाषा यद्यपि भविष्यकालीन है, तथापि वर्तमान सामीप्य होने से प्रज्ञापनी भाषा है, जो असत्य नहीं है।' // दशम शतक : तृतीय उद्देशक समाप्त // 1. भगवती. अ. वृत्ति, पत्र 499-500 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org